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    कबाड़ में मिला नाना का दिया सिक्का, कीमत लगी डेढ़ करोड़

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Thu, 17 Aug 2017 10:17 AM (IST)

    डबवाली के एक दुकानदार को संदूक की सफाई के दौरान वर्ष 1450 का इस्लामिक सिक्का मिला। दुबई के एक व्यक्ति ने इसकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपये लगाई है।

    कबाड़ में मिला नाना का दिया सिक्का, कीमत लगी डेढ़ करोड़

    जेएनएन, डबवाली (सिरसा)। कहते हैं कि भगवान जब देता है तो छप्पड़ फाड़कर देता है। ऐसा ही कुछ हुआ सिरसा रोड पर सीट कवर बनाने वाले एक दुकानदार के साथ। घर में अचानक सफाई के दौरान उसे अपने नाना का दिया हुआ एक सिक्का मिला। उस सिक्के को साफ किया तो उस पर उर्दू में कुछ लिखा था। बाद में पता चला कि वह वर्ष 1450 का इस्लामिक सिक्का है।

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    उसने दुबई में रहते अपने दोस्तों से सिक्के की चर्चा की, जिसके बाद वहां के रहने वाले एक व्यक्ति ने सिक्के के लिए डेढ़ करोड़ रुपये देने की पेशकश की है। हालांकि ऑनलाइन शॉपिंग साइड पर इसकी कीमत करीब तीन करोड़ है। सिक्के की कीमत का पता चलने के बाद दुकानदार ने उसे बैंक के लॉकर में रख दिया है।

    शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित बङ्क्षठडा जिले के गांव डूमवाली निवासी गोरी शंकर उर्फ विक्की की डबवाली के सिरसा रोड पर सीट कवर की दुकान है। गौरी शंकर ने बताया कि मंदी के कारण इन दिनों वह घर का पुराना सामान बेचकर पेट पाल रहा है। उसने बताया कि गत रविवार को जब वह घर में पुराना सामान खोज रहा था तो पुराने संदूक में से एक पुराना सिक्का मिला। सिक्के को अच्छी तरह से साफ किया तो उस पर उर्दू भाषा में कुछ लिखा था। इसके बाद वह नरसिंह कॉलोनी स्थित मस्जिद में पहुंचा और मौलवी को सिक्का दिखाया।

    सिक्का देखकर मौलवी दंग रह गए। उन्होंने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह सिक्का वर्ष 1450 के समय का है और इस पर मदीना शहर लिखा हुआ है। गौरीशंकर ने करीब 567 वर्ष पुराने सिक्के की फोटो अपने मित्रों के जरिये दुबई तक पहुंचाई तो वहां के एक व्यक्ति ने इसे खरीदने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये कीमत लगाई। गौरीशंकर के अनुसार ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर इस तरह के सिक्के का बेस प्राइज 3 करोड़ रुपये है। बांग्लादेश में दो और पाकिस्तान में एक सिक्के की बोली लगाई गई है। वह सिक्के को साढ़े तीन करोड़ रुपये में बेच देगा।

    नाना ने दिया था, अहमियत पता चली तो लॉकर में रखा

    गोरीशंकर के अनुसार उसके नाना ङ्क्षचरजी लाल ने उन्हें यह सिक्का दिया था। वे गुरुग्राम में सरकारी कर्मचारी थे। उसके नाना को उपरोक्त सिक्का उनके नाना ने दिया था। सिक्के की अहमियत का पता चलने के बाद उसे इसे बैंक के लॉकर में रखवा दिया है।

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