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    इजराइल के लड़ाकू विमानों में लगेंगे रोहतक के नट-बोल्ट

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Thu, 06 Jul 2017 12:23 PM (IST)

    आकाश, अग्नि, त्रिशूल, ब्रम्होस्त्र आदि मिसाइलों में रोहतक के नटबोल्ट उपयोग में लाए गए थे। अब इजराइल के लड़ाकू विमानों में भी रोहतक के नट-बोल्ट लगेंगे।

    इजराइल के लड़ाकू विमानों में लगेंगे रोहतक के नट-बोल्ट

    रोहतक [अरुण शर्मा]। एक और जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल से रक्षा क्षेत्र के लिए करार कर रहे हैं, वहीं रोहतक के नट-बोल्ट इजरायल की सेना के हथियारों और वाहनों को मजबूत करेंगे। हाल ही में रोहतक के नट-बोल्ट कारोबारियों से इजरायल की सेना के साथ इस संबंध में समझौता हुआ है। रोहतक में बने नट-बोल्ट इजरायली सेना के प्लेन में भी इस्तेमाल होंगे।

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    रक्षा कारणों से करार की पूरी जानकारी नहीं देते हुए शहर के एक कारोबारी ने बताया कि इजरायल की सेना से इसी साल करार हुआ है। इसके तहत अगले पांच महीने में आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। इसी प्रकार फ्रांस की मशहूर एयर बस में भी हमारे नट-बोल्ट उपयोग होंगे। चेन्नई और बिहार में रेल के इंजन व रेल गाडिय़ां निर्मित होंगी, अगले 11 साल के लिए करार हुआ है। देश के सौ स्मार्ट सिटी के लिए भी रोहतक के ही नट-बोल्ट का उपयोग किया जाएगा।

    बता दें कि दिल्ली मेट्रो में 90 फीसद तो कोच्चि, चेन्नई, लखनऊ मेट्रो में भी रोहतक से ही नट बोल्ट भेजे गए थे। डीजल और बिजली के रेल इंजन से लेकर स्वास्थ्य परीक्षण मशीनों (अल्ट्रासाउंड, एमआरआइ, सीटी स्कैन), कपड़ा मिल कार-बाइक के साथ ही बिजली बनाने और वितरण करने वाली कंपनियों में भी रोहतक के नट बोल्ट की भारी डिमांड है।

    खास कच्चा माल मंगाते हैं रोहतक के कारोबारी

    एलपीएस बोसार्ड के प्रबंध निदेशक राजेश जैन का कहना है कि आमतौर पर देश में कच्चा माल 40 से 70 रुपये प्रति किग्रा तक मिल जाता है। लेकिन हम अमेरिका, जापान, जर्मनी, कोरिया आदि देशों से दो से लेकर सौ डॉलर प्रति किग्रा(5000 प्रति किग्रा तक) रॉ मेटेरियल मंगाते हैं। यही कारण है कि इसरो, सेना हो या फिर विदेशी प्रोजेक्ट, हम सभी की उम्मीदों पर खरे उतरे। हाल में ही हमारा कुछ बेहतर करार हुआ है, पर रक्षा कारणों से हम उसकी जानकारी नहीं दे सकते हैं।

    उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के सहायक निदेशक राजेश खेड़ा का कहना है कि हमारे नट-बोल्ट की खासियत ही कहेंगे कि सेना से लेकर तमाम सेटेलाइट से लेकर दूसरे मिसाइलों में भी उपयोग होते हैं। मंगलयान में भी हमारे यहां निर्मित कुछ पुर्जों का उपयोग हुआ था। देशभर की कार-बाइक उद्योग के साथ ही विदेशी रक्षा मंत्रालयों की प्रोजेक्ट के लिए भी हमारे यहां से पुर्जे तैयार होकर जाते हैं। इजरायल के लिए हमारे प्रोजेक्ट शुरू होंगे तो इसमें नई बात नहीं। हमारे यहां से तो लंबे समय से ऐसे ही कार्य हो रहे हैं।

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