एक ब्याह कर लाता है और फिर बन जाती है सभी भाइयों की पत्नी
रोहतक क्षेत्र के कई गांवों में लिंगानुपात में असमानता के कारण बहु पति प्रथा जैसे हालात हाे गए हैं। एक भाई लड़की ब्याह कर लाता है और वह सभी भाइयों की पत्नी की तरह रहती हैं।
रोहतक, [बृजेश कुमार मिश्र]। बेटियों को गर्भ में मारने का दुष्परिणाम उन युवतियों को झेलना पड़ रहा है, जो अन्य प्रदेशों से ब्याह कर लाई जाती हैं। हालांकि ब्याह तो कहने की बात है, उन्हें खरीदकर लाया जाता है किसी एक भाई की दुल्हन के रूप मेंं। इसके बाद उनको सभी भाइयों की दुल्हन बन उनकी इच्छा पूरी करनी पड़ती है।
मदवि के प्रोफेसर के शोध में उजागर हुआ तथ्य, रोहतक के दस गांवों को सैंपल के रूप में रख किया अध्ययन
यह खुलासा, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के वार्षिक जर्नल में प्रकाशित एक शोध में यह तथ्य उजागर हुआ है। शोध रोहतक के दस गांवों को सैंपल के रूप में रखकर किया गया है। शोध करने वाले मदवि के लोक प्रशासन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह ने जब इस बारे में परिवार वालों से सवाल किया तो उनका जवाब था कि इसमें महिलाओं को कोई आपत्ति नहीं होती।
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शोध में बताया गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के कम अनुपात का समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। लोगों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रहीं हैं। वे असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल जैसे दूसरे स्थानों से दुल्हन खरीदकर ला रहे हैं।
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शादी के लिए बनवा रहे पक्के मकान
शोध के अनुसार ग्रामीण इलाकों के लड़कों की शादी नहीं हो पाती। इसकी वजह बेटी वालों को लगता है कि उनकी बेटी सुख में नहीं रहेगी। इसलिए गांव के लड़कों का ब्याह नहीं हो पाता। शोध में ग्रामीणों से बातचीत के आधार पर कहा गया है कि गांव में जब भी कोई लड़का देखने आता है तो वह लड़के के घर से ही उस परिवार की हैसियत का अंदाजा लगाता है। गांव में पक्के मकान बनने का यह एक बड़ा कारण है।
ग्रामीणों से बातचीत और सूचनाओं के आधार पर तैयार की रिपोर्ट
शोध के लिए डॉ. युद्धवीर सिंह ने रोहतक के दस गांवों को सैंपल के रूप में रखा। इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत करने, सूचना एकत्रित करने और ग्रामीणों के जीवन का विश्लेषण करने के बाद रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट में लिंगानुपात के घटने के कारणों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि शोध के परिणाम चौंकाने वाले रहे। सबसे बड़ी बात तो यह कि मजबूरी में ही सही, ऐसी शादियों को सामाजिक स्वीकृति मिल रही है।
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