रोहतकवासियों के सपनों से दूर होती जा रही है दिल्ली मेट्रो, अब सियासत भी हो गई शुरू
रोहतक में मेट्रो के विस्तार की जो योजना पूर्व में तैयार की गई थी उसके रद होने के बाद इस पर सियासत शुरू हो गई है।
हिसार [राकेश क्रांति]। दिल्ली से चलकर मेट्रो ट्रेन 24 जून 2018 को हरियाणा के बहादुरगढ़ पहुंची थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इसका शुभारंभ किया था। उस दिन मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने प्रधानमंत्री से मेट्रो का विस्तार सांपला तक करने का अनुरोध प्रधानमंत्री से किया तो उन्होंने ओके भी कर दिया। इससे रोहतक के बाशिंदों के चेहरे चमकने भी लगे थे। रोजाना करीब डेढ़ लाख लोग रोहतक से दिल्ली सफर करते हैं। इनमें रेलवे के करीब 10 हजार मासिक पासधारक हैं। लगभग 25 हजार रेल की टिकट पर सफर करते हैं। करीब 12 हजार रोडवेज की बसों से दिल्ली पहुंचते हैं। निजी वाहनों से दिल्ली जाने वालों का आंकड़ा एक लाख से ऊपर है।
भाजपा सरकार से पहले जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्ममंत्री थे तो उन्होंने रोहतक के इंडस्ट्रियल मॉडर्न टाउनशिप (आइएमटी) तक मेट्रो लाने का सपना दिखाया था। मनोहरलाल ने भी उसी राह पर चलते हुए रोहतक तक मेट्रो लाने की गुजारिश की। चार महीने के भीतर ही दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) और हरियाणा सरकार के टर्म आफ रेफरेंस पर केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सांपला के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी।
हरियाणा मास रैपिड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचएमआरटीसी) ने बहादुरगढ़ से सांपला के बीच 17.4 किलोमीटर लंबे रूट पर आठ स्टेशन बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन अब डीएमआरसी ने तकनीकी अध्ययन के बाद सांपला के प्रोजेक्ट को अव्यावहारिक बता दिया है। इसे रद करने की वजह यात्रियों की कम संख्या और लागत अधिक बताई गई है। प्रोजेक्ट रद होने की बात सार्वजनिक होने से जहां रोहतकवासियों से दिल्लीमेट्रो दूर हो गई है, वहीं प्रदेश की राजनीति गरमाने लगी है। रोहतक के पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा का कहना है कि उनकी सरकार में रोहतक आइएमटी तक मेट्रो लाने का प्रोजेक्ट बना था।
वर्तमान सरकार ने एक भी नया खंभा नहीं लगाया। दूसरी तरफ रोहतक के वर्तमान भाजपा सांसद अरविंद शर्मा प्रोजेक्ट को सिरे चढ़वाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। वे डीएमआरसी के अधिकारियों से संपर्क साध चुके हैं और मुख्यमंत्री से जल्द मिलने वाले हैं। बहरहाल, सांपला प्रोजेक्ट अधर में लटक चुका है। अगर यह प्रोजेक्ट रोहतक को दृष्टिगत रखकर बनाया जाता तो यात्रियों की कमी की बात नहीं आती।
16 महीने पुरानी चिट्ठी से गरमाई ब्राह्मण राजनीति
16 महीने पुरानी एक चिट्ठी से प्रदेश में सियासत गरमा गई है। दान की भूमि पर पीढ़ियों से काबिज कुछ जातियों (विशेषकर ब्राह्मण) को भूमि छीने जान का खतरा महसूस होने लगा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के ब्राह्मण नेताओं ने अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है। दरअसल हरियाणा में कई गांवों में सामाजिक ढांचे को मजबूत करने के लिए कुछ जातियों के परिवारों को लाकर उन गांवों में बसाया गया था और घर व खेती के लिए गांव की सरकारी और निजी जमीन दान में दी गई थी। इनमें ब्राह्मण समेत छह जातियां शामिल थीं।
ऐसी जमीन पर काबिज होने वालों को कई नाम से जाना जाता है। जैसे-धौलीदार, भोंडेदार, मुकररीदार और बूटीमार। आम बोलचाल की भाषा में इसे धौली की जमीन कहा जाता है। ऐसी ज्यादातर जमीनों का हिस्सा ब्राह्मणों के पास है। दरअसल, प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने हरियाणा धौलीदार, भोंडेदार, मुकररीदार और बूटीमार एक्ट2010 के तहत वेस्टिंग आफ प्रॉपर्टी राइट्स रूल्स-2011 बनाए थे। नौ जून 2011 को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार न्यूनतम दाम पर ऐसी जमीन पर काबिज लोगों का मालिकाना हक दिया जाने लगा था।
पिछली भाजपा सरकार ने 2018 में हरियाणा धौलीदार, भोंडेदार, मुकररीदार और बूटीमार (वेस्टिंग आफ प्रॉपर्टी राइट्स) रूल्स-2011 में संशोधन करके बिल पास कर दिया। यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास गया हुआ है। 15 अक्टूबर 2018 को प्रदेश के वित्तायुक्त ने सभी उपायुक्तों को एक पत्र जारी कर कहा था कि निजी जमीन पर ही एक्ट 2011 लागू होगा। नगर निकाय, ग्राम पंचायत, सरकारी विभाग, बोर्ड, निगम की जमीन पर लागू नहीं होगा। इस चिट्ठी को सामने लाकर बादली के विधायक कुलदीप वत्स ने प्रदेश के ब्राह्मणों से जमीन छीने जाने का मुद्दा उछाल दिया। उनका कहना है कि एक्ट बनने के बाद वर्ष 2011 में मात्र 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से फीस तहसील में जमा कराकर मालिकाना हक प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
एक्ट में संशोधन के बाद अब ऐसी जमीन का डाटा तैयार किया जा रहा है। इससे धौली की जमीन पर मालिकाना हक छिनने का खतरा है। इससे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी मौका मिल गया है। उन्होंने कहा है कि धौलीदारों को जमीन देने के अधिकार से छेड़छाड़ सहन नहीं करेंगे। हालांकि प्रदेश के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा मुख्यमंत्री के हवाले से कह रहे हैं कि किसी को जमीन के मालिकाना हक से नहीं रोका गया है। उधर उपमुख्यमंत्री कह रहे हैं कि निजी जमीन यदि किसी व्यक्ति को दान में दी गई है तो उसका मालिकाना हक दिया जाएगा। लेकिन पंचायती जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता।
[लेखक हिसार के न्यूज एडिटर हैं]
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