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    मरीज के साथ भावनात्मकता से पेश आने की जरूरत : डॉ. डिसूजा

    By Edited By:
    Updated: Tue, 01 Dec 2015 08:15 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, रोहतक : चिकित्सक को मरीज के साथ भावनात्मक ढंग से पेश आना चाहिए। मरीज को अहसास हो

    जागरण संवाददाता, रोहतक :

    चिकित्सक को मरीज के साथ भावनात्मक ढंग से पेश आना चाहिए। मरीज को अहसास होना चाहिए कि चिकित्सक उसके दर्द को समझ रहा है। यह बात डॉ. रसेल डिसूजा ने कही। वे मंगलवार को पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान और यूनेस्को बॉयोएथिक्स एशिया पेसिफिक डिविजन हाईफा के सांझे प्रयास से चल रहे 3-टी ई ट्रे¨नग प्रोग्राम इन बायोएथिक्स फॉर मेडिकल एंड डेंटल टीचर प्रोग्राम के दूसरे दिन बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।

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    डॉ. डिसूजा ने कहा कि यदि मरीज डॉक्टर को अपने साथ जुड़ा हुआ पाता है तो मरीज आधा ठीक महसूस करता है और कभी भी झगड़े की नौबत नही आती। डॉ. रसैल ने कहा कि मरीज को जब हम कुछ समझाते हैं तो उस समय हमारे हाव-भाव भी काफी मायने रखते हैं, ऐसे मे हमें स्थिति के हिसाब से इनका ध्यान रखना चाहिए।

    डॉ. शिवानी बंसल ने बताया कि किसी भी मरीज का इलाज करते हुए उसकी बीमारी व पूर्ण इलाज के बारे मे जानकारी देनी चाहिए, खासतौर पर सर्जिकल आप्रेशन के दौरान होने वाली पूर्ण प्रक्रिया के बारे मे विस्तार से बताना चाहिए कि आप्रेशन के दौरान क्या-क्या होगा व क्या खतरा हो सकता है। आप्रेशन से पहले मरीज या उसके परिजन की सहमति होनी बहुत जरुरी है। डॉ. शिवानी बंसल ने कहा कि हमे कोशिश करनी चाहिए कि मरीज को उसकी भाषा मे ही समझाने की कोशिश करनी चाहिए विशेषतौर पर कम पढ़े-लिखे लोगों को।

    डॉ. पायल बंसल ने बताया कि छात्रों को स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर ही जानकारी दी जाएगी कि मेडिकल प्रोफेशन मे आजकल इनविट्रो फर्टिलाईजेशन, सैरोगेसी, ओर्गन ट्रांसप्लांटेशन, ¨लग जांच व मरीज की सहमति आदि के बारे मे सही व सटीक जानकारी हो ताकि समाज मे हो रहे गलत व्यवसायों मे जाने से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि मानव शोध करने के लिए इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने गाईडलाइन बनाई हैं, जिन्हें हर चिकित्सक को अनुसरण करना चाहिए। बच्चों, गर्भवती स्त्रियों और वृद्ध लोगों का विशेषतौर पर ध्यान रखते हुए इलाज करना चाहिए। इस कोर्स के सह-कोर्डिनेटर डेंटल कालेज डॉ.आर.के. शर्मा ने बताया कि कोर्स के तीसरे दिन विभिन्न विभागों एनाटमी,फिजियोलोजी, बॉयोकैमिस्ट्री, पैथोलोजी, माइक्रोबॉयोलोजी व फोरेंसिक मेडिसन मे एथिक्स से संबंधित नियमों के बारे मे चर्चा की जाएगी। इस अवसर पर कुलपति डॉ. ओ.पी.कालरा, कुलसचिव डॉ. सरला हुड्डा, पीजीआईडीएस के प्राचार्य डॉ. संजय तिवारी,डॉ.एस.सी. नरुला, डॉ. विकास कक्कड़, डॉ. परमजीत गिल,डॉ. राकेश मित्तल, डॉ. वरुण अरोड़ा सहित दर्जनों डॉक्टर उपस्थित थे।