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    पढ़िए संघर्ष की कहानी, पिता ने आटो चलाकर बिटिया को गांव से पानीपत स्‍टेडियम भेजा, वो सोना जीत लाई

    पानीपत के गांव शिमला मौलाना की विंका ने 30वें एड्रियाटिक पर्ल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में पांच बॉक्सरों को हराया। कोरोना महामहारी के कारण नेशनल बॉक्सिंग एकेडमी में अभ्यास छूट गया था स्टेडियम जाने के लिए वाहन नहीं था। बेटी के लिए पिता ने सात हजार रुपये प्रतिमाह आटो लगाया।

    By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 21 Feb 2021 03:36 PM (IST)
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    शिमला मौलाना गांव की विंका की फाइल फोटो।

    पानीपत [विजय गाहल्‍याण]। पानीपत के गांव शिमला मौलाना की एक बेटी ने देश के लिए गोल्‍ड मेडल जीत लिया है। इस जीत के पीछे जितनी मेहनत बेटी की है, उतनी ही मेहनत उसके पिता ने भी की है। कोरोना महामारी के कारण नेशनल बॉक्सिंग एकेडमी बंद थी। यहां की बॉक्सर शिमला मौलाना गांव की विंका ने इसके बावजूद अभ्यास का निर्णय लिया। विकल्प शिवाजी स्टेडियम था। स्टेडियम आने-जाने के लिए वाहन नहीं था। पिता धर्मेंद्र ने आटो रिक्शा चलाकर जो कमाई हुई, उससे बेटी के लिए सात हजार रुपये प्रति माह से आटो रिक्शा की व्यवस्था की।

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    विंका ने भी पिता की मेहनत जाया नहीं की। मोंटेनेग्रो के बुडवा शहर में 30वें एड्रियाटिक पर्ल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में 57 से 60 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीत लिया। विंका ने ये पदक अपने पिता को समर्पित किया है। इस जीत पर घर में पिता धर्मेंद्र और मां सरला देवी ने मिठाई बांटकर खुशी जताई। विंका ने हाकी को छोड़कर बॉक्सिंग खेल शुरू किया था।

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    कद छोटा है तो वजन घटाया

    पिता धर्मेंद्र ने बताया कि विंका की लंबाई 5 फीट 6 इंच की है। पहले 60 से 64 किलोग्राम भार वजन में खेलती थी। उम्र बढ़ गई है। उसकी आयु की कई बॉक्सरों की लंबाई ज्यादा थी। इससे विंका को विरोधी बॉक्सरों को पंच मारने में दिक्कत होती थी। इसी वजह से विंका ने चार किलो वजन घटाया। पहले शिवाजी स्टेडियम में बॉक्सिंग कोच सुनील की निगरानी में अभ्यास किया और फिर रोहतक जाकर तकनीक में सुधार भी किया। वजन घटाने का टिप्स काम आया और सफलता हासिल की। विंका अब 16 जून को 19 वर्ष की हो जाएगी।

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    रिश्तेदारों ने किया था विरोध, पिता ढाल की तरह अड़े रहे

    दो साल पहले विंका की शादी करने के लिए रिश्तेदार दबाव बना रहे थे। विंका ने पिता को कह दिया था कि वह खेलना चाहती है। आप साथे देंगे तो जीतेगी। पिता धर्मेंद्र को वे दिन याद आ गए जब बेटी के सिर में 24 टांके लगे थे। डाक्टर ने खेलने से मना कर दिया था। बेटी का जुनून देख जमीन बेच दी। बेटी ने भी सफलता हासिल की। पिता ने कह दिया था कि शादी के बंधन में नहीं बांधेंगे। खुलकर खेल। रिश्तेदारों ने विरोध भी किया। विंका लगातार जीत हासिल कर पिता की उम्मीदों पर खरी उतरी।

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    हॉकी छोड़ बॉक्सिंग चुनी, 22 पदक जीत चुकी है

    विंका की बड़ी बहन मोनिका अमृतसर बॉक्सिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही है। विंका पहले हॉकी में नेशनल प्रतियोगिता में पदक जीत चुकी है। हॉकी को छोड़ बॉक्सिंग खेल चुना। इसमें वे राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाक्सिंग प्रतियोगिताओं में 22 पदक जीत चुकी हैं। इसमें एशियन चैंपियनशिप, सातवें नेशंस जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप, खेलो इंडिया और स्कूल नेशनल के स्वर्ण पदक भी शामिल हैं। बहन को बॉक्सिंग करते देख छोटा भाई सचिन भी बॉक्सिंग करता है और राज्य स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीत चुका है। विंका यूथ वर्ल्ड वुमेन बाक्सिंग चैंपियनशिप में भी दमखम दिखाएगी।

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