प्रमोशन पर बढ़ा हरियाणा की आइएएस और आइपीएस लॉबी में टकराव
प्रमोशन पर हरियाणा की आइएएस और आइपीएस लॉबी में टकराव बढ़ गया है। प्रधान सचिव से अतिरिक्त मुख्य सचिव बने आइएएस अफसरों ने यह मुद्दा उठाया है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में अतिरिक्त मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के पदों पर प्रमोशन को लेकर आइएएस और आइपीएस लॉबी में टकराव बढ़ गया है। विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) द्वारा प्रधान सचिव से अतिरिक्त मुख्य सचिव की प्रमोशन पर सवाल उठाने के बाद आइएएस लॉबी हरकत में आई है।
आइएएस अफसरों ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक से महानिदेशक बनाए गए नौ आइपीएस अधिकारियों के प्रमोशन पर भी सवाल खड़े करते हुए उन्हें चुनौती दी है। आइएएस लॉबी ने पीएसी से सवाल किया कि जब उनकी प्रमोशन पर अंगुली उठ रही तो आइपीएस अफसरों की प्रमोशन के कायदे कानून की भी परख होनी चाहिए।
पिछली सरकारों ने बिना स्वीकृत पदों के 21 प्रधान सचिवों को अतिरिक्त मुख्य सचिव बना दिया था। इनमें दो अतिरिक्त मुख्य सचिव रिटायर हो चुके और 19 अभी काम कर रहे हैैं। इन अफसरों पर हुए वित्तीय खर्च का मामला सामने आने के बाद कैग ने विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) के पास केस जांच-परख के लिए भेज दिया, जिस पर बवाल खड़ा हो गया है।
भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक ज्ञान चंद गुप्ता पीएसी के अध्यक्ष और विधायक हरविंद्र कल्याण सदस्य हैैं। पीएसी ने आइएएस अफसरों की प्रधान सचिव से अतिरिक्त मुख्य सचिव के पदों पर हुई प्रमोशन को असंवैधानिक मानते हुए मुख्य सचिव से तीन माह में पद स्वीकृत कराकर रिपोर्ट देने को कहा है। अभी तक इसकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई, लेकिन आइएएस लॉबी पूरी तरह से उग्र्र हो गई।
प्रधान सचिव के पद से मात्र एक हजार ज्यादा ले रहे एसीएस
आइएएस अफसरों ने दलील दी है कि हरियाणा में डीजीपी के मात्र दो पद स्वीकृत हैैं, लेकिन सरकार ने नौ डीजीपी बना रखे हैैं। कैग और पीएसी को इसका भी संज्ञान लेना चाहिए। आइएएस अफसरों ने अपने बचाव में कहा कि प्रधान सचिव का स्केल 79 हजार रुपये होता है और अतिरिक्त मुख्य सचिव का 80 हजार रुपये। ऐसे में उन पर 5 से 15 करोड़ का वित्तीय खर्च बताने का दावा खोखला है।
आइपीएस अफसरों की पे स्केल में पांच हजार के अंतर की दुहाई
उधर, आइपीएस लॉबी भी अपने बचाव में उतर आई। आइपीएस अफसरों की दलील है कि सरकार ने भले ही उन्हें डीजीपी बना दिया, लेकिन उनका पे स्केल 75 हजार रुपये ही है, जबकि आइएएस 80 हजार का स्केल ले रहे हैं। ऐसे में उन्हें एडीजीपी से डीजीपी बनाने का कोई फायदा नहीं हुआ। कुल मिलाकर इस पूरे मामले में सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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