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    असमंजस खत्म, हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं का सात माह का कार्यकाल अभी बाकी

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Thu, 02 Jul 2020 10:21 AM (IST)

    हरियाणा में मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने में कानूनी तौर पर अभी सात माह का वक्त बाकी है। दुष्यंत चौटाला भी यह बात कह चुके हैं।

    असमंजस खत्म, हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं का सात माह का कार्यकाल अभी बाकी

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने में कानूनी तौर पर अभी सात माह का वक्त बाकी है। प्रदेश सरकार ने हर जिले में पंचायतों के आरक्षण को लेकर भले ही ड्रा निकलवाने शुरू कर दिए, लेकिन अगले साल फरवरी से पहले चुनाव संभव नहीं हैैं। इससे पंचायती राज संस्थाओं में लंबे समय से चली आ रही असमंजस की स्थिति खत्म हो गई है।

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    हरियाणा में पहले प्रावधान था कि जिस तारीख से सरपंच बनता है, उसी तारीख से पंचायतों का कार्यकाल शुरू हो जाता है, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने संशोधन विधेयक लाकर यह कानून बनाया कि जिस दिन पंचायतों के गठन की अधिसूचना जारी होगी, उसी दिन उनका कार्यकाल माना जाएगा। यह कानून विधानसभा में पास हो चुका है।

    प्रदेश में पिछले बार पढ़ी लिखी पंचायतों की व्यवस्था के कारण कई माह तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस चलते रहे, जिस कारण चुनाव देरी से हुए। इस कारण पंचायतों के गठन की अधिसूचना भी देरी से जारी हुई। नतीजतन, सरपंचों में आशंका बनी हुई थी कि सरकार कहीं समय से पहले चुनाव न करा दे, जिसे पंचायत एवं विकास मंत्री के नाते हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने स्पष्ट कर दिया कि किसी पंचायत में समय से पहले चुनाव नहीं होंगे।

    डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के अनुसार हरियाणा में 6186 ग्राम पंचायतों, 416 जिला परिषद सदस्यों एवं 2957 पंचायत समिति सदस्यों का कार्यकाल जनवरी 2021 तक है। पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। पिछली बार 10 जनवरी, 17 जनवरी व 24 जनवरी को तीन चरणों में हरियाणा में पंचायत चुनाव हुए थे। ऐसे में पांच बरस का कार्यकाल जनवरी 2021 में पूरा होगा।

    डिप्टी सीएम के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल जुलाई 2019 तक दिखाकर विपक्ष के लोग गफलत पैदा कर रहे हैैं। सरकार कैबिनेट की विशेष मीटिंग बुलाकर पहले पंचायत चुनाव करवा सकती है, पर कोरोना संकट को लेकर सरकार की ऐसी मंशा नहीं है। इसलिए समय से पहले किसी सूरत में चुनाव कराने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इसलिए किसी सरपंच को अपने गांवों में विकास के काम रोकने की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार कानूनन अभी छह से सात माह तक चुनाव नहीं हो सकते।

     

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