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    अब, हरियाणा में जाट समेत पांच जातियों को आरक्षण नहीं

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 07 Aug 2015 04:35 PM (IST)

    हाईकोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा सरकार ने जाटों समेत पांच जातियों को आरक्षण का लाभ बंद कर दिया है। हरियाणा सरकार के इस फैसले से उसे राजनीतिक हमले झेलना पड़ सकता है। इससे आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रहे जाटों का आक्रोश और बढ़ने की भी आशंका है।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हाईकोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा सरकार ने जाटों समेत पांच जातियों को आरक्षण का लाभ बंद कर दिया है। हरियाणा सरकार के इस फैसले से उसे राजनीतिक हमले झेलना पड़ सकता है। इससे आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रहे जाट समुदाय का आक्रोश और बढ़ने की भी आशंका है।

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    राज्य के मुख्य सचिव की ओर से आरक्षण का लाभ तुरंत प्रभाव से बंद करने संबंधी परिपत्र उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण एवं कृषि विभाग के प्रशासनिक सचिवों तथा प्रधान सचिवों को भिजवा दिया गया है। पिछली हुड्डा सरकार ने जाट, रोड, बिश्नोई, त्यागी और जट सिख को सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था।

    विशेष पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष केसी गुप्ता की सिफारिशों के आधार पर हुड्डा सरकार ने आरक्षण की व्यवस्था की थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने 27 जुलाई 2015 को हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण रद कर दिया है तो प्रदेश सरकार कैसे यहां आरक्षण का लाभ दे रही है।

    हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार द्वारा आरक्षण की सुविधा बंद किए जाने से अब इन पांच जातियों के बच्चों को न तो दाखिलों में लाभ मिलेगा और न ही इन जातियों के लोग सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। राज्य सरकार ने प्रशासनिक सचिवों व प्रधान सचिवों को भेजे परिपत्र में कहा है कि सभी संस्थानों में दस प्रतिशत सीटें खाली रखी जाएं और 90 प्रतिशत सीटों पर ही दाखिले किए जाएं।
    मुख्य सचिव के परिपत्र के अनुसार 90 प्रतिशत दाखिले करने के बाद विभाग सरकार को पूरी स्थिति की रिपोर्ट भेजें, ताकि खाली सीटों पर उचित निर्णय लिया जा सके।

    हजारों भर्तियों व दाखिलों पर लटकी तलवार
    वर्तमान में सरकार द्वारा करीब 25 हजार पद विज्ञापित किए जा चुके हैं जिनमें हरियाणा सरकार द्वारा केसी गुप्ता आयोग की सिफारिशों के अनुरूप आरक्षण का लाभ दिया गया है और सरकार द्वारा 25 हजार से अधिक पदों के लिए विज्ञापन निकालने की तैयारी की जा रही है। इन सभी में अब केसी गुप्ता आयोग की सिफारिशों के अनुरूप आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकेगा। साथ ही हरियाणा में मौजूद 10 विश्वविद्यालय और उससे संबंधित कॉलेजों मेंं दाखिला प्रक्रिया जारी है।

    जस्टिस मित्तल की खंडपीठ ने यह दिया था आदेश
    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस एसके मित्तल की खंडपीठ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जिस रिपोर्ट को नकार चुका है उसके आधार पर आरक्षण का लाभ हरियाणा में देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसे में वर्तमान में चल रही भर्तियों के दौरान जहां पर भी इस आरक्षण का लाभ दिया गया है उसे खारिज किया जाता है। प्रदेशभर के शिक्षण संस्थानों में चल रही प्रवेश प्रक्रिया में भी इसका लाभ न दिया जाए।

    हरियाणा सरकार ने की थी कोर्ट में पैरवी
    हरियाणा सरकार की दलील थी कि केंद्र द्वारा दिए गए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। राज्यों में दिए गए आरक्षण से इसका कोई लेना देना नहीं है। इसे नकारते हुए खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस आयोग की सिफारिशों को खारिज किया है, उन्हीं को आधार बनाते हुए राज्य में जाट, बिश्नोई, जटसिख, रोड और त्यागी जातियों तथा आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ दिया गया है।

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