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    हाई कोर्ट का हरियाणा सरकार को झटका, कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने पर रोक

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 02 Sep 2016 03:11 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने हरियाणा में कच्चे कर कर्मियों को पक्का करने की नीति पर रोक लगा दी है। अब तक इस पालिसी के तहत रेगुलर किए कर्मियों का नियमितीकरण भी कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।

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    जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा कच्चे कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए वर्ष 2014 में बनाई गई सभी रेगुलराइजेशन पॉलिसियों पर रोक लगा दी। इससे हरियाणा सरकार के साथ-साथ पक्का करने के लिए बार-बार आंदोलन कर रहे कच्चे कर्मचारियों को भी तगड़ा झटका लगा है। अब याचिका का निर्णय आने तक सरकार किसी भी कच्चे कर्मचारी को रेगुलर नहीं कर सकेगी।

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    शुक्रवार को दिए गए इस आदेश में हाई कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जो भी कच्चे कर्मचारी अब तक इन रेगुलराइजेशन पॉलिसियों के तहत रेगुलर किए गए हैैं उनका नियमितीकरण भी इस केस के अंतिम फैसले पर ही निर्भर करेगा।

    बता दें, योगेश त्यागी, अंकुर छाबड़ा, अनिल कुमार सहित अनेक योग्य युवाओं ने सरकार की इन रेगुलराइजेशन नीतियों को संविधान की धारा 14 व 16 का उल्लंघन बताते हुए उमा देवी केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को आधार बनाकर वर्ष 2014 में हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। तब सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि नई बीजेपी सरकार इन रेगुलाइरेजेशन पॉलिसियों की समीक्षा कर रही है और इनको होल्ड पर रखा हुआ है। इस वर्ष जून में अचानक सरकार ने इन पॉलिसियों को होल्ड पर रखने का निर्णय वापस ले लिया और नीतियों को लागू करने का फैसला किया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने फिर हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जल्द सुनवाई करने व इन नीतियों पर रोक लगाने की मांग की।

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    याचिका पर आज हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनुराग गोयल ने बेंच के समक्ष बहस करते हुए इन पॉलिसियों को सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी व अन्य फैसलों के खिलाफ बताया व तमाम तथ्य रखे। इन सभी रेगुलराइजेशन पॉलिसियों को अवैध बताया और इनको रद करने की मांग की। वहीं, अधिवक्ता जगबीर मलिक ने भी बहस के दौरान बेंच को बताया कि वर्तमान सरकार द्वारा इन रेगुलाइजेशन पॉलिसियों पर लिए गए लीगल ओपिनियन में भी एडवोकेट जनरल कार्यालय ने अपनी 34 पेज की लीगल राय में पूरे विस्तार से तथ्यों का वर्णन करते हुए इन पॉलिसियों को कानून के खिलाफ बताया है, लेकिन इस सबके बावजूद वर्तमान सरकार इन पॉलिसियों को लागू करने पर तुली है।

    बहस सुनने के बाद जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस सुदीप अहलूवालिया की डिवीजन बेंच ने वर्ष 2014 की इन सभी रेगुलाइजेशन पॉलिसियों पर रोक लगा दी और अब तक पक्के किए गए कर्मचारियों के नियमितीकरण को भी याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया। मामले में आगामी सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।

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