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    हरियाणा में हुड्डा सरकार के कार्यकाल में भर्ती 5000 कर्मचारियों को नहीं मिलेगा प्रमोशन

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 19 Jun 2020 09:38 AM (IST)

    हरियाणा में वर्ष 2014 की नियमितीकरण पॉलिसी के तहत पक्के हुए करीब पांच हजार कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिलेगा। हालांकि इन्हें चाइल्ड केयर लीव वार्षिक वेतन वद्धि का लाभ मिलेगा।

    हरियाणा में हुड्डा सरकार के कार्यकाल में भर्ती 5000 कर्मचारियों को नहीं मिलेगा प्रमोशन

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में वर्ष 2014 की नियमितीकरण पॉलिसी के तहत पक्के हुए करीब पांच हजार कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिलेगा। न ही पदोन्नति के दूसरे लाभ मिलेंगे। हालांकि इन कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव, बच्चों के लिए शिक्षा भत्ता, यात्रा भत्ता (एलटीसी) और वार्षिक वेतन वद्धि का लाभ दिया जाएगा। 

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    सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्ष, मंडलायुक्त, उपायुक्त, यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ओर बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों को लिखित आदेश जारी किए हैं। कई महकमों ने प्रदेश सरकार को सिफारिश की थी कि इन कर्मचारियों को पदोन्नति और दूसरी सुविधाओं का लाभ दिया जा सकता है।

    सरकार ने इस पर एडवोकेट जनरल से राय मांगी तो एजी कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि 26 नवंबर 2018 से मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश हैंं। अगर इन कर्मचारियों को पदोन्नति दी तो यह सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी। इसके बाद सरकार ने किसी को भी पदोन्नति नहीं देने के निर्देश जारी कर दिए।

    बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए तीन अलग-अलग पॉलिसी बनाईं थी। पहली पॉलिसी 18 जून 2014 को बनाई गई जिसमें तीन साल पूरे करने वाले करीब पांच हजार कर्मचारियों को पक्का कर दिया गया। जुलाई में फिर से नई नियमितीकरण पॉलिसी बनाते हुए 31 दिसंबर 2018 तक दस साल पूरे करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने की व्यवस्था की गई। मनोहर सरकार पिछली पारी में इस पॉलिसी में आने वाले 14 हजार अतिथि अध्यापकों की सेवाएं 58 साल तक के लिए पक्की कर चुकी है, जबकि तीन हजार बिजली कर्मचारियों और दूसरे विभागों के तीन हजार कर्मचारियों की उम्मीदों पर हाई कोर्ट ने पानी फेर दिया।

    हाई कोर्ट दे चुका निकालने का आदेश

    जून 2018 में हाई कोर्ट ने वर्ष 2014 की नियमितीकरण पॉलिसी पर रोक लगाते हुए वर्ष 2016 में पक्के हुए पांच हजार कर्मचारियों के साथ ही अनुबंध पर काम कर रहे दूसरे सभी कर्मचारियों को हटाने के आदेश दिए थे। जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस सुदीप आहलूवालिया की खंडपीठ ने सोनीपत निवासी योगेश त्यागी व अन्य की याचिकाओं को सही माना जिसमें तर्क दिया गया कि कच्चे कर्मचारियों की नियुक्ति करते हुए किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया। इन कर्मचारियों को नियमित करने का फैसला सीधे तौर पर बैकडोर एंट्री है।

    अब सुप्रीम कोर्ट पर टिका दारोमदार

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा कि पक्के किए गए कर्मचारियों की नौकरी बची रहे या इन्हें बाहर कर दिया जाए। फैसला अनुकूल रहा तो इन कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार बनाम उमादेवी के केस में साफ कर चुका है कि अनुबंध व अन्य प्रकार से हुई अनियमित नियुक्तियों को नियमित न किया जाए।

     

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