जनहित याचिका दाखिल कर हीरो बनने की प्रवृत्ति बंद की जाए : हाई कोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आधारहीन जनहित याचिकाओं पर अहम टिप्पणी की। कहा, जनहित याचिका को जनहित का माध्यम ही होना चाहिए, निजी हित साधने के लिए नहीं।
जेएनएन, चंडीगढ़। हाई कोर्ट में बढ़ती आधारहीन जनहित याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि जनहित याचिका को जनहित का माध्यम ही होना चाहिए, किसी के निजी हित साधने के लिए जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी रोहतक के दो जमा पांच मुद्दा संगठन के प्रमुख सतबीर सिंह हुड्डा द्वारा हरियाणा में 134ए के तहत के स्कूलों में प्रवेश को लेकर दायर जनहित याचिका पर की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 25 मई तक स्थगित कर दी।
कोर्ट ने याची से पूछा कि उसका इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने का क्या मकसद है। उसका इस विषय पर क्या लोकस स्टैंड है। इस पर सतबीर सिंह हुडा के वकील ने कहा कि पहले भी 134ए के तहत प्रवेश को लेकर वह जनहित याचिका दायर कर चुके हैं, ताकि गरीब बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ सके। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि पहले वैकल्पिक कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल किया जाए और यदि वहां से इंसाफ नहींं मिलता तब कोर्ट का रुख किया जाए। मगर लगता है याची जनहित याचिका दाखिल कर हीरो बनने की कोशिश कर रहा हैं। इस पर याची के वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है, याची रोहतक में वकील है और दो जमा पांच मुद्दा संगठन के नाम से सामाजिक काम करता है।
कोर्ट ने कहा कि क्या एक वकील को यह नहीं पता कि जनहित याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट के अनुसार क्या नियम हैं। अगर वकील ही हीरो बनने के लिए अनावश्यक जनहित याचिका दायर करेगें तो क्या किया जा सकता है।
संगठन का रिकॉर्ड मांगा
बेंच ने कहा कि दो जमा पांच मुद्दा संगठन क्या काम करता हैं, उसको पास कितना फंड है और फंड कहां से आता है, इसकी जानकारी दी जाए। संगठन में कितने सदस्य है, क्या कभी कोई उनकी बैठक होती है, कोई रजिस्टर है जिसमें बैठक और खाते का रिकॉर्ड रखा जाता हो। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में तो याची वकील है, इसलिए वह उस पर सामान्य से ज्यादा जुर्माना लगा सकते है ताकि भविष्य में अनावश्यक जनहित याचिका दायर न करे।
पीआइएल माफिया हो रहा सक्रिय
बैंच ने कहा कि जनहित याचिका को ब्लैकमेल का माध्यम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। पीआइएल माफिया सक्रिय हो रहा है और ऐसे में न्यायपालिका को इस प्रकार की दूषित याचिकाओं से बचाना हमारी जिम्मेदारी बन गया है। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिका के माध्यम से समाज की सेवा करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इसके लिए पहले अपने स्तर पर भी समाज के लिए कोई कदम उठाया जाए। हाई कोर्ट में आधारहीन याचिका न डाली जाए, इसके लिए अजैब सिंह बनाम पंजाब सरकार मामले में कोर्ट ने जनहित दिशा निर्देश भी जारी किए थे, परंतु उनकी पालना नहीं हो रही है।
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