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    खनन घोटाला के होगी जांच, हर जिले में टूटेगा अफसरों और खनन माफिया का रैकेट

    By Test1 Test1Edited By:
    Updated: Sun, 10 Jul 2016 11:50 AM (IST)

    प्रदेश सरकार हर जिले में खनन कार्य अलॉट करने की जांच करवाएगी। बता दें कि दैनिक जागरण ने इस मामले में करोड़ों की स्टांप ड्यूटी का घोटाला उजागर किया था।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रदेश सरकार ने खनन घोटाले की जांच के आदेश दे दिए हैं। बता दें कि दैनिक जागरण ने इस ख़बर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। मामला सरकार को स्टांप ड्यूटी में करोड़ों का चूना लगाने का था। दरअसल, महेंद्रगढ़ जिले में 7 कंपनियों को मात्र 70 रुपये की फीस लेकर करीब 250 करोड़ का खनन का काम सौंप दिया है।

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    स्टांप ड्यूटी चोरी की रिकवरी होगी

    फिलहाल, प्रदेश सरकार ने महेंद्रगढ़ के जिला उपायुक्त को भी सभी सात कंपनियों से 7 करोड़ 56 रुपये की स्टांप चोरी की रिकवरी के आदेश जारी किए हैं। इन कंपनियों ने खनन कार्य के लिए लीज डीड को एग्रीमेंट के रूप में रजिस्टर्ड करा लिया था। इस कार्य में महेंद्रगढ़ जिले के चार नायब तहसीलदार और तहसीलदार शामिल हैं।

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    मदन एसोसिएट्स के अप्लाई करने पर हुआ खुलासा

    मदन एसोसिएट्स नामक कंपनी द्वारा जिला उपायुक्त संजीव वर्मा के सामने लीज डीड को एग्रीमेंट में रजिस्टर्ड करने का प्रस्ताव पेश करने के बाद स्टांप चोरी का राज खुला था। इस कंपनी ने दलील दी थी कि सोनीपत, यमुनानगर, अंबाला, भिवानी और पानीपत समेत अन्य जिलों में भी ऐसे ही एग्रीमेंट रजिस्टर्ड होता रहा है, इसके बाद महेंद्रगढ़ के जिला उपायुक्त ने पूरे मामले की जांच की और साढ़े सात करोड़ रुपये की स्टांप चोरी रिपोर्ट सरकार के पास भेजी।

    मुख्यमंत्री ने दिए हर जिले में जांच कराने के आदेश

    मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को हर जिले में स्टांप चोरी की जांच कराने के आदेश दिए। महेंद्रगढ़ के डीसी संजीव वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का सुझाव दिया था कि यदि राज्य के बाकी जिलों में भी खनन कार्य करने वाली कंपनियों के लीज डीड की जांच कराई जाए तो करीब 100 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी पकड़ी जा सकती है।

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    महेंद्रगढ़ में एक लीज डीड को एग्रीमेंट में रजिस्टर्ड करने के लिए मात्र 10 रुपये की फीस खजाने में जमा कराई गई, जबकि सूत्रों का कहना है कि स्टांप चोरी में भागीदारी अफसरों ने कंपनियों से इस काम के लिए मोटी रकम वसूल की है।

    जिला उपायुक्तों को एक पखवाड़े में स्पेशल ऑडिट के आदेश

    राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से जिला उपायुक्तों तथा मंडल आयुक्तों को भेजे गए आदेश में स्टांप ड्यूटी एक्ट 1899 की धारा 47 का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जिला उपायुक्त (रजिस्ट्रार) स्टांप चोरी का मामला संज्ञान में आने के बाद कार्रवाई के लिए अपने स्तर पर ही अधिकृत हैं। राज्य सरकार ने सभी जिला उपायुक्तों से कहा कि वे अपने-अपने जिलों में एक पखवाड़े के भीतर स्पेशल आडिट कराकर सरकार के पास रिपोर्ट भेजें।

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    दोषी अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं

    प्रदेश सरकार की ओर से भेजे गए आदेश में महेंद्रगढ़ के उन तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों को बख्श दिया गया है, जो सीधे तौर पर सब रजिस्ट्रार की शक्तियों के दुरुपयोग के दोषी हैं। ऐसे अफसरों के विरुद्ध राज्य सरकार ने अभी तक कार्रवाई का कोई फैसला नहीं लिया है।

    सूत्रों का कहना है कि यदि सभी जिलों में जांच के बाद घपला उजागर हुआ तो नायब तहसीलदार व तहसीलदार काफी संख्या में मिलीभगत के दोषी पाए जा सकते हैं। फिर इतने बड़े पैमाने पर अफसरों पर कार्रवाई मुश्किल हो जाएगी। लिहाजा राज्य सरकार ने हाल फिलहाल अफसरों के प्रति नरमी दिखा दी है।

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