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    26 साल की नौकरी में 51वां तबादला, फिर भी बोला अधिकारी- निराश नहीं हूं मैं...

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Wed, 15 Nov 2017 04:24 PM (IST)

    अपनी र्इमानदारी के लिए चर्चित हरियाणा के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने एक के बाद तबादले के दंश झेले, पर हौसला नहीं टूटा। 26 साल के सेवाकाल में पांच सीएम संग काम किया और 51 बार तबादले हुए।

    26 साल की नौकरी में 51वां तबादला, फिर भी बोला अधिकारी- निराश नहीं हूं मैं...

    चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के सीनियर आइएएस अधिकारी अशोक खेमका अपनी 26 साल की नौकरी में अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। इस दौरान उनका 51 बार तबादला हुआ। इस अवधि में उन्‍होंने पांच मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया, लेकिन चार के साथ उनकी पटरी बिल्कुल नहीं बैठी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिनके साथ खेमका ने सबसे अधिक 10 साल काम किया, जबकि ओमप्रकाश चौटाला के साथ खेमका ने साढ़े पांच साल सेवाएं दी। खेमका के लगातार हो रहे तबादलों से सवाल यह उठ रहे कि आखिर सिस्टम में ही खराबी है या फिर खेमका लाख कोशिश के बावजूद सिस्टम से पटरी नहीं बिठा पा रहे हैं। इस सबके बावजूद इस अ‍‍धिकारी की जिजीविषा कायम है अौर वह कहते हैं कि अभी मैं निराश नहीं हूं।

    अशोक खेमका 1991 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। हरियाणा में उन्होंने 15 सितंबर 1991 को अपनी सेवा शुरू की। उस समय भजनलाल राज्‍य के मुख्यमंत्री थे। इसके अलावा खेमका ने बंसीलाल, ओमप्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अब मनोहर लाल के मुख्‍यमंत्रित्‍वकाल में काम किया। इन 26 सालों की सेवा में खेमका को 51 बार तबादले के दंश झेलने पड़े।

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    खेमका अपनी अब तक की सर्विस में सिस्टम में फिट नहीं हो पाए। राज्य में सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो, लेकिन खेमका अक्सर सत्तापक्ष की आंख की किरकिरी बने रहे और विपक्ष ने उन्हें हमेशा गले लगाए रखा। इसके बाद विपक्ष में रही पार्टियां जब सत्ता में आईं, तो खेमका के प्रति उनका नजरिया बदल गया।

    भजनलाल की सरकार में शुरू हो गए थे विवाद

    भजनलाल 23 जुलाई 1991 से 9 मई 1996 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उन्‍हें सरकार ने उन्हें सहकारी समितियां विभाग का अतिरिक्त रजिस्ट्रार नियुक्‍त किया गया। धर्मवीर उस वक्त सहकारी समितियां विभाग के रजिस्ट्रार थे। धर्मवीर बाद में मुख्य सचिव भी बने। खेमका ने तब इस विभाग से जुड़ी फाइलों में कमियां निकालते हुए उन्हें रोकना शुरू कर दिया। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा था, लेकिन विवाद सुलझने की बजाय उलझता चला गया।

    बंसीलाल से कोई विवाद नहीं आया सामने

    भजनलाल के बाद बंसीलाल मुख्‍यमंत्री बने। वह 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 तक करीब तीन साल मुख्यमंत्री रहे। उन्हें अफसरशाही के प्रति अब तक का सबसे कठोर मुख्यमंत्री माना जाता है। उनके कार्यकाल में खेमका का कोई विवाद सामने नहीं आया है।

    चौटाला के कार्यकाल में साइकिल से जाते थे दफ्तर

    बंसीलाल के बाद ओमप्रकाश चौटाला ने 24 जुलाई 1999 से 4 मार्च 2005 तक राज्‍य की कमान संभाली। जब तक खेमका की ईमानदारी के चर्चे होने लगे थे। चौटाला ने उन्हें झज्जर का जिला उपायुक्‍त (डीसी) बना दिया। वहां खेमका ने सख्ती की तो कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया। कर्मचारियों ने चौटाला से मांग की कि खेमका को यहां से हटा दिया जाए। उन्‍हें मुख्यालय बुला लें अथवा हमारा कहीं तबदला कर दें।

    एक कार्यक्रम में राज्‍यपाल प्रो. कप्‍तान सिंह साेलंकी, सीएम मनोहरलाल के साथ अशोक खेमका।

    इसके बाद चौटाला ने खेमका को संयुक्त सचिव नियुक्त कर दिया। इस पद पर तैनात होने वाले अधिकारी के लिए अलग से गाड़ी नहीं होती। ऐसे अधिकारी पूल सिस्टम से काम चलाना पड़ता है। इसके विरोधस्वरूप खेमका कई दिनों तक साइकिल से दफ्तर आए थे। उस दौर में खेमका राष्ट्रीय सुर्खियों में आ चुके थे।

    हुड्डा कार्यकाल में वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील की थी रद

    हरियाणा में सत्ता परिवर्तन के बाद 5 मार्च 2005 से 19 अक्टूबर 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री रहे। इस सरकार में खेमका कभी वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील, कभी गेहूं के बीज के उपचार वाली रैक्सिल दवाई तो कभी गेलवैल्यूम शीट खरीद विवाद के चलते सुर्खियों में रहे। इसी सरकार में उनके सबसे ज्यादा तबादले हुए। हुड्डा शासनकाल में खेमका के खिलाफ चार्जशीट भी जारी हुई। उस समय भाजपा के तत्कालीन विधायक अनिल विज ने खेमका के समर्थन में राजभवन के बाहर धरना दिया था। विज अाज राज्‍य सरकार में मंत्री हैं और उनका 51वां तबादला विज के विभाग में ही हुआ है।

    मनोहर सरकार के तीन मंत्रियों से हो चुकी तकरार

    हुड्डा के बाद मनोहर लाल ने 26 अक्टूबर 2014 को हरियाणा की सत्ता संभाली। इन तीन सालों में मनोहर सरकार ने खेमका को न केवल प्रमोशन दिया, बल्कि उनकी चार्जशीट भी खारिज की। इसके बावजूद, परिवहन आयुक्त के पद पर रहते हुए ओवरलोड व ओवर साइज वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने के मुद्दे पर खेमका का प्रो. रामबिलास शर्मा तथा राव नरबीर से विवाद हो गया। बाद में उन्‍हें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में तबादला हुआ। वहां उन्होंने अपने मंत्री कृष्ण बेदी के खिलाफ चिट्ठी लिख दी और उनसे विभाग की गाड़ी मांग ली। फिर करीब सवा तीन लाख लोगों की पेंशन बंद कर दी। अब सरकार ने उन्हें खेल मंत्री अनिल विज के साथ जोड़ दिया है।

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    खेमका बोले- अधिक ऊर्जा से करुंगा काम

    अपने ताजा तबादले पर अशोक खेमका कहते हैं, मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं। बहुत कुछ सोच रखा था, लेकिन तभी तबादले के आदेश आ जाते हैं। ऐसा ही अब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में हुआ है। फिर भी निराश नहीं हूं। पहले से अधिक ऊर्जा और गति से काम करूंगा।