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    डॉक्टर खुद बीमार हुए तो योग से भगाया रोग, अब पिला रहे दवा के साथ योग की डोज

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Mon, 15 Jun 2020 10:59 AM (IST)

    डॉ. मनीष कुकरेजा ने गठिया के भीषण दर्द व फेशियल पैरालाइसिस को योग के बल पर हराया। अब वह नियमित डेढ़ घंटा करते योग करते हैं मरीजों को भी इसकी सलाह देते ...और पढ़ें

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    डॉक्टर खुद बीमार हुए तो योग से भगाया रोग, अब पिला रहे दवा के साथ योग की डोज

    कुरुक्षेत्र [विनीश गौड़]। चिराग नर्सिंग होम संचालक डॉ. मनीष कुकरेजा जो कभी सिर्फ चिकित्सक के तौर पर जाने जाते थे अब लोग उन्हें योगाचार्य के नाम से जानने लगे हैं। उन्होंने योग के बूते अपने रोग पर जीत हासिल की और अब वे अपने क्लीनिक पर आने वाले मरीजों को दवा के साथ-साथ योग व प्राणायाम की घुट्टी पिला रहे हैं। नाक-कान-गला के मरीजों को कुछ योग क्रियाएं बताकर न केवल उन्हें रोग से उबरने की प्रेरणा देते हैं, बल्कि वे खुद अपना उदाहरण भी बताते हैं कि योग के सहयोग से कैसे उन्होंने रोग पर विजय पाई।

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    दरअसल, वर्ष 2006 में गठिया के कारण बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस ) बैचलर ऑफ़ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी चिकित्सक डॉ. मनीष चलने फिरने में पूरी तरह से असमर्थ हो गए थे और बेड रेस्ट पर चले गए थे। विशेषज्ञों ने सर्जरी तक कराने की सलाह दे दी थी, लेकिन योग, प्राणायाम, एक्युप्रेशर और होम्योपैथी दवाओं के माध्यम से इलाज किया।

    उन्होंने लेटे-लेटे श्वासन से शुरुआत की और फिर प्राणायाम व योग की अन्य क्रियाएं करने लगे, जिसके बाद वे बिल्कुल ठीक हो गए। हालांकि उनकी खुशी को एक बार फिर ग्रहण लगा और साल 2018 में वे फेशियल पैरालाइसिस के शिकार हो गए। इसमें उनकी आवाज तक अवरुद्ध हो गई और वे अवसाद में चले गए, मगर दवा के साथ-साथ योग ने उनके जीवन में एक बार फिर नई ऊर्जा भर दी और वे स्वस्थ हो गए। आज 58 वर्ष की उम्र में वे नियमित रूप से डेढ़ घंटा प्राणायाम और योग करते हैं।

    योग पर कर रहे पीएचडी

    योग से प्रभावित होकर डॉ. कुकरेजा अब योग पर ही पीएचडी भी कर रहे हैं और इसी दौर में योग पर रिसर्च भी कर रहे हैं। एक रिसर्च का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने कुरुक्षेत्र के दो स्कूलों में बच्चों पर रिसर्च भी की है। एक बैच में 58 और दूसरे में 60 बच्चों के बैच बनाकर योग ज्ञान और क्रियाएं कराकर उनकी मस्तिष्क शक्ति का टेस्ट लिया जिसमें योग के सकारात्मक परिणाम दिखे हैं। डॉ. कुकरेजा नियमित रूप से बांसुरी पर भी साधना करते हैं। डॉ. मनीष अब जहां भी बैठते हैं लोगों को योग के लिए प्रेरित करते हैं।