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    पाडुलिपि कार्यशाला में शारदा लिपि के बारे में बताया

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    Updated: Thu, 17 Nov 2011 02:14 PM (IST)

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    कुरुक्षेत्र, जागरण संवाद केंद्र

    राष्ट्रीय प्रगत पाडुलिपि कार्यशाला के द्वितीय चरण में श्रीनगर कश्मीर से आए कश्मीर विश्वविद्यालय के पूर्व हिदी विभागाध्यक्ष वयोवृद्ध प्रो. त्रिलोकी नाथ का शारदा लिपि अध्यापन आरभ हुआ। पहले उनका वाचिक अभिनंदन करते हुए कार्यशाला के संयोजक डॉ. सुरेद्र मोहन मिश्र ने उन्हे कश्मीर की साहित्यिक व सास्कृतिक परपरा का विशिष्ट विद्वान बताया। पाडुलिपियों में अनगिनत कश्मीरी ग्रंथों के संपादन के लिए प्रो. त्रिलोकी नाथ जैसे विद्वान आजीवन श्रम करते आ रहे है।

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    प्रो. त्रिलोकी नाथ ने शारदा कश्मीर के वैदिक काल से आज तक की सामाजिक व साहित्यिक यात्रा को रेखाकित करते हुए अभिनव गुप्त, क्षेमेंद्र आदि उन सभी काव्य, शास्त्र व अध्यात्म की विभूतियों का जिक्र किया। शारदा लिपि में वैदिक, संस्कृत व कश्मीरी भाषा के प्राचीन ग्रंथ होने के कारण तथा आज के बदले हुए परिवेश में शारदा लिपि को न जानने के कारण उन ग्रंथों का संपादन कैसे संभव नहीं हो रहा है, इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला के प्रतिभागी युवा शारदा लिपि को जानकर कश्मीर के श्रेष्ठ ग्रंथों को प्रकाश में लाएंगे।

    शुक्रवार को यूनिवर्सिटी के सीनेट हाल में राष्ट्रीय पाडुलिपि मिशन के द्वारा विशिष्ट तत्वबोध व्याख्यान के बारे में सूचना देते हुए डॉ. मिश्र ने बताया कि श्रीकृष्ण प्रणामी संप्रदाय के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख जगद्गुरु कृष्णमणि शास्त्री महाराज स्वलीलाद्वैत सिद्धात की ग्रंथ परपरा तथा सामाजिक संदर्भ विषय पर अपना उद्बोधन देंगे।

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