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    इंजीनियर बेटी ने पिता की चिता को दी मुखाग्नि, समाज को दिया संदेश

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jul 2017 02:12 PM (IST)

    झज्‍जर में एक इंजीनियर बेटी ने पिता का अंतिम संस्‍कार किया अौर उनकी चिता को मुखाग्नि दी। इससे उसने समाज को बेटा अौर बेटी में कोई फर्क न हाेने का मजबूत संदेश दिया।

    इंजीनियर बेटी ने पिता की चिता को दी मुखाग्नि, समाज को दिया संदेश

    जेएनएन, झज्जर। यहां एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी अौर बेटे की तरह अपना फर्ज निभाया। झण्‍जर में इस इंजीनियर बेटी ने अपने पिता के निधन के बाद उनका अंतिम संस्‍कार किया। उसके पिता लंबे समय से बीमार थे। वह अपने पिता की इकलौती संतान है।

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    झज्‍जर के 48 वर्षीय राजू मेहता लंबे समय से बीमार थे और करीब एक वर्ष से तो वह ठीक ढंग से चल भी नहीं पाते थे। उनकी एक ही बेटी है मनीषा। मनीषा को उन्होंने बेटे समझा और पढ़ाया-लिखाया। बीमारी के दौरान भी वह कहते थे कि मेरी मोना मेरी बेटी और बेटा दोनों है। वह मनीषा को माेना नाम से बुलाते थे। मनीषा इंजीनियर हैं और गुरुग्राम में कार्यरत हैं।

    पिता के अंतिम संस्‍कार की रस्‍म निभाती मनीषा।

    राजू मेहता का आखिरी समय आया तो परिवार के भाई-भतीजे सभी मौजूद थे। उनके निधन के बाद अंतिम संस्‍कार का प्रश्‍न उठा तो किसी ने भतीजे द्वारा यह जिम्‍मेदारी पूरी करने की बात की, लेकिन मनीषा अागे आईं और पिता को मुखाग्नि देने की बात कही। परिजनों ने भी उनका समर्थन किया।

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    पिता के अंतिम संस्‍कार की रस्‍म निभाती मनीषा।

    इसके बाद मनीषा ने हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक़ पिता के अंतिम संस्‍कार के क्रिया- के कर्म निभाए और मुखाग्नि दी। झज्‍जर सहित पूरे इलाके में इस तरह की यह पहली घटना है। मनीषा ने नम आंखों के संग पिता के अंतिम संस्‍कार की रीति निभाई।

    पिता के अंतिम संस्‍कार की रस्‍म निभाती मनीषा।

    इसके साथ ही उन्‍हाेंने समाज के समक्ष संदेश गया है कि बेटियों को बेटों से अलग मत समझो। अंतिम संस्‍कार के समय मौजूद लोग भी मनीषा के कदम की तारीफ कर रहे थे। इस दौरान पिता के पति बेटी के प्‍यार व लगाव को देख लोग अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे।

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