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    दो मामलों में सतलोक आश्रम संचालक रामपाल बरी, पर अभी जेल में ही रहना होगा

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Tue, 29 Aug 2017 07:47 PM (IST)

    सतलोक आश्रम संचालक रामपाल पर बरवाला थाने में दर्ज दो केसों में बरी हो गया है। उसके खिलाफ पुलिस ने बरवाला थाने में सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था।

    दो मामलों में सतलोक आश्रम संचालक रामपाल बरी, पर अभी जेल में ही रहना होगा

    जेएनएन, हिसार। न्यायिक दंडाधिकारी मुकेश कुमार की अदालत में चल रहे सतलोक आश्रम प्रकरण में बरवाला थाने में दर्ज हुए दो केसों में रामपाल बरी हो गए है। इस मामले में रामपाल के साथ अन्य कई लोगों को भी आरोपी बनाया गया था।

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    मामले में फैसले से पूर्व अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष के वकीलों की बहस हुई। इसके बाद जज ने फैसला पढ़ा, जिसमें रामपाल व उसके साथियों को बरी कर दिया गया। रामपाल की ओर से वकील एपी सिंह तर्क पेश किए। हालांकि रामपाल को अभी जेल में ही रहना होगा। उसके खिलाफ अभी देशद्रोह समेत कई अन्य मामलों में सुनवाई होनी है।

    रामपाल के वकील एपी सिंह फैसले के बारे में जानकारी देते हुए।

    बता दें कि उक्त मामलों में बहस पूरी होने के बाद 24 अगस्त को फैसला सुनाया जाना था, मगर 25 अगस्त को पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में साध्वी यौन शोषण मामले में डेरामुखी पर संभावित फैसले को लेकर बरवाला पुलिस के आग्रह पर अदालत ने 29 अगस्त निर्धारित की थी।

    गौरतलब है कि बरवाला में हिसार-चंडीगढ़ रोड स्थित सतलोक आश्रम में नवंबर 2014 में सरकार के आदेश के बाद पुलिस ने आश्रम संचालक रामपाल के खिलाफ कार्रवाई की थी। पुलिस ने रामपाल को 20 नवंबर 2014 को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बरवाला थाने में सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में एफआइआर नंबर 426 और जबरन बंधक बनाने सहित अन्य धाराओं में एफआइआर नंबर 427 दर्ज की गई थी। इन दोनों मामलों में बुधवार को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 24 अगस्त को फैसला सुनाने के आदेश दिए। इन दोनों केसों में रामपाल के अलावा प्रीतम सिंह, राजेंद्र, रामफल, विरेंद्र, पुरुषोत्तम, बलजीत, रामकुमार ढाका, राजकपूर, राजेंद्र को अभियुक्त बनाया हुआ है।

    पहला केस : एफआइआर नंबर 426

    धारा 323

    धारा 353

    धारा 186

    धारा 426

    दूसरा केस : एफआइआर नंबर 427

    धारा     147

    धारा      149

    धारा      188

    धारा       342

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