गुरुग्राम नाम से होगा सांस्कृतिक विरासत का बोध
आदित्य राज, गुड़गांव : औद्योगिक नगर के रूप में दुनिया में प्रसिद्ध गुड़गांव का सांस्कृतिक नाम शुरू से

आदित्य राज, गुड़गांव : औद्योगिक नगर के रूप में दुनिया में प्रसिद्ध गुड़गांव का सांस्कृतिक नाम शुरू से ही गुरुग्राम ही था। मुगलों एवं मुस्लिम राजाओं के शासनकाल में गुरुग्राम का अपभ्रंश गुड़गांव हो गया। अब एक बार फिर से गुड़गांव को उसके सांस्कृतिक नाम से जाना जाएगा।
कहा जाता है कि महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य गुरुग्राम में ही रहते थे। उनसे पांडव एवं कौरवों ने शिक्षा ग्रहण की थी। गुरु द्रोण की वजह से ही इस क्षेत्र को गुरुग्राम कहा जाने लगा था। मुगलों एवं मुस्लिम राजाओं के शासन के दौरान देश की सांस्कृतिक विरासतों को ध्वस्त करने का काम किया गया। यहां तक जगहों के नाम बदल दिए गए। इससे आने वाली पीढि़यों को किसी जगह के नाम से सांस्कृतिक विरासत की अनुभूति न हो। इसी क्रम में गुरुग्राम का नाम बदलकर गुड़गांव कर दिया गया। अंग्रेजों का जब शासन हुआ, उस दौरान भी गुड़गांव को गुरुग्राम करने का मुहिम चली थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। आजादी के बाद से कई संगठन इस दिशा में लगातार प्रयास करते रहे। कई लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर अभियान चलाया।
कभी नहीं किया गुड़गांव का प्रयोग
वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन के अध्यक्ष पंडित मांगेराम शर्मा उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने कभी भी सार्वजनिक आयोजनों में, अपनी पुस्तकों में या अपने पत्रों में गुड़गांव शब्द का प्रयोग नहीं किया। वे गुरुग्राम का ही प्रयोग करते रहे। पिछले 50 वर्षो से अधिक समय से वह गुरुग्राम नाम रखा जाए, इसके लिए प्रयासरत थे। वे कहते हैं कि उनकी दिली इच्छा पूरी हो गई। प्रदेश सरकार ने गुरुग्राम रखकर सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का काम किया है। इस नाम से सांस्कृतिक विरासत का बोध होगा। गुरु द्रोणाचार्य की धरती का नाम बदलकर अपमान किया गया था। भागदौड़ की जिंदगी में लोग अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, इसलिए शब्दों का मतलब नहीं समझते। पहले जगह का नाम, व्यक्ति का नाम सांस्कृतिक मान्यताओं को ध्यान में रखकर रखा जाता था। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि जगह का नाम सामने आते ही अपनी संस्कृति का बोध हो, व्यक्ति का नाम आते ही संस्कृति का बोध हो।
परमिंदर कटारिया सहित कई लोगों ने चलाया अभियान
नगर निगम के डिप्टी मेयर परमिंदर कटारिया सहित कई लोगों ने गुड़गांव का नाम गुरुग्राम करने को लेकर अभियान चलाया था। वरिष्ठ नेता एडवोकेट खजान सिंह भी विभिन्न मंचों के माध्यम से गुड़गांव का नाम गुरुग्राम रखने के लिए आवाज बुलंद करते रहे। यही वजह है कि गुरुग्राम नाम रखने जाने की घोषणा से लोगों में जबर्दस्त खुशी है। हर किसी के जुबान से यही निकल रहा है अब फिर से शहर के नाम से सांस्कृतिक विरासत की अनुभूति होगी।

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