अरावली में बने सैकड़ों फार्म हाउसों पर लटकी तलवार
आदित्य राज, गुड़गांव : अरावली पहाड़ी क्षेत्र (गुड़गांव एवं मेवात) में बने सैकड़ों फार्म हाउसों पर तलवार
आदित्य राज, गुड़गांव : अरावली पहाड़ी क्षेत्र (गुड़गांव एवं मेवात) में बने सैकड़ों फार्म हाउसों पर तलवार लटक गई है। पूरे गैर मुमकिन पहाड़ को नेचुरल कंजरवेशन जोन (एनसीजेड) में शामिल करते ही वर्ष 1992 के बाद बने सभी फार्म हाउस खत्म हो जाएंगे। हरियाणा सरकार ने भारत सरकार के ऊपर गैर मुमकिन पहाड़ के पूरे इलाके को एनसीजेड में शामिल करने का फैसला छोड़ दिया है।
दिल्ली-एनसीआर में हरियाली बढ़ाने के साथ ही वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नेचुरल कंजरवेशन जोन बनाया जाना है। इसमें अरावली पहाड़ी क्षेत्र (हरियाणा के इलाके) की लगभग एक लाख भूमि को शामिल करने का निर्णय हो चुका है। यह वह भूमि है जिसमें 1990 से 1999 के दौरान अरावली प्रोजेक्ट के तहत पौधे लगाए गए थे। इसके अलावा अरावली पहाड़ी क्षेत्र के दायरे में लगभग डेढ़ लाख भूमि आती है। कहीं-कहीं पर घनी हरियाली है। वन विभाग का विचार है कि जिन इलाकों में अरावली प्रोजेक्ट के तहत पौधरोपण नहीं किया उन इलाकों को भी एनसीजेड में शामिल किया जाए। साथ ही जहा भी जंगल है उस इलाके को भी शामिल किया जाए। विभाग के इस सुझाव को प्रदेश सरकार ने स्वीकार करते हुए अरावली पहाड़ी क्षेत्र की लगभग डेढ़ लाख एकड़ भूमि को एनसीजेड में शामिल किया जाए या नहीं इसका फैसला केंद्र सरकार के ऊपर छोड़ दिया है। वन विभाग के अधिकारियों की माने तो गुड़गांव एवं मेवात के इलाके के पूरे गैर मुमकिन पहाड़ को एनसीजेड में शामिल करना ही होगा। इसके अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के दौरान एक फैसला सुनाया था कि गुड़गांव एवं अलवर के गैर मुमकिन पहाड़ में बिना अनुमति के गैर वानिकी कार्य नहीं हो सकते।
1992 के बाद बने हैं सैकड़ों फार्म हाउस
गुड़गांव व आसपास अरावली पहाड़ी के इलाके में सैकड़ों फार्म हाउस 1992 के बाद बने हैं। इनमें से पांच से दस प्रतिशत फार्म हाउस के पास ही भारत सरकार से अनुमति है। बाकी बिना अनुमति के बने हुए हैं। एनसीजेड के दायरे में आने के बाद बिना अनुमति के बने सभी फार्म हाउस प्रशासन को ध्वस्त करना ही होगा। फार्म हाउसों के मालिक नहीं चाहते हैं कि पूरा गैर मुमकिन पहाड़ एनसीजेड के दायरे में आए। दायरे में आते ही फार्म हाउस की जमीन की कीमत कुछ भी नहीं रह जाएगी। वैसे भी जबसे प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने अरावली पहाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर दिलचस्पी दिखाई है तबसे फार्म हाउसों के मालिकों से लेकर बिल्डरों एवं कालोनाइजरों के होश उड़े हुए हैं। जिन लोगों ने इलाके में निवेश के हिसाब से जमीन खरीद रखी है, उसकी कीमत आसमान से जमीन पर आ चुकी है।
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''हरियाणा सरकार अरावली पहाड़ी की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। इसका प्रमाण है क्षेत्र की लगभग एक लाख एकड़ भूमि को एनसीजेड के दायरे में लाने का निर्णय लेना। बाकी इलाके की भूमि भी यदि एनसीजेड के दायरे में आ जाती है फिर अरावली पहाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा हर स्तर पर मजबूत हो जाएगी। वन विभाग की ओर से अरावली प्रोजेक्ट के दायरे में आनेवाली भूमि की रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। अब जिला प्रशासन को बाकी इलाके की रिपोर्ट सौंपनी है।''
--- एमडी सिन्हा, संरक्षक, वन विभाग (दक्षिणी जोन)