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    शब्दों के जाल में उलझा रेलवे स्टेशन

    By Edited By:
    Updated: Mon, 26 Jan 2015 07:40 PM (IST)

    बॉक्स.. -दस वर्षो से यह मुद्दा संसद और विधानसभा में कई बार उठ चुका - वर्तमान में करीब अस्सी हजा ...और पढ़ें

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    बॉक्स..

    -दस वर्षो से यह मुद्दा संसद और विधानसभा में कई बार उठ चुका

    - वर्तमान में करीब अस्सी हजार यात्री यहां से रोजाना सफर कर रहे

    -ट्रेन की कमी के कारण छत पर बैठने के लिए यात्री मजबूर

    26 जीयूआर 16

    नवीन गौतम, गुड़गांव:

    तेज बदलाव के दौर में 'आदर्श' और 'माडर्न' का पर्याय बन चुकी साइबर सिटी गुड़गांव को उसी का रेलवे स्टेशन चुनौती पेश कर रहा है। रेल बजट में ऐलान और रेल मंत्रियों के आश्वासन के बावजूद दोनों शब्द रेलवे स्टेशन को मुंह चिढ़ा रहे हैं। दो दिन पहले रेल मंत्री सुरेश प्रभु के औचक निरीक्षण और केन्द्रीय मंत्री एवं स्थानीय सांसद राव इन्द्रजीत की एक बार फिर स्टेशन को आधुनिक बनाने की घोषणाओं के बाद यह मुद्दा फिर जीवंत हो उठा है।

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    रेलवे से सूचना के अधिकार के तहत सामाजिक कार्यकर्ता सुखदेव सिंह को दी गई जानकारी घोषणाओं के 'आदर्श' और 'माडर्न' स्टेशनों की हकीकत बयां कर रही है। दैनिक रेल यात्री संगठनों सहित अन्य सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक संगठन स्टेशन सुधारने के लिए लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं। पिछले दस वर्षो से यह मुद्दा संसद और विधानसभा में कई बार उठ चुका है।

    रेल बजट में दो बार घोषणा

    तत्कालीन रेल मंत्री ने वर्ष 2007-08 का रेल बजट पेश करते हुए गुड़गांव के रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने का ऐलान किया था लेकिन यह ऐलान बजट में धन राशि का प्रावधान न किए जाने से तब भी सिरे नहीं चढ़ पाया और फिर वर्ष 2009-10 में यहां की जनता को गुमराह करते हुए एक बार फिर तत्कालीन रेल मंत्री ने संसद में ऐलान कर डाला इस स्टेशन को 'आदर्श स्टेशन' बनाने का लेकिन तब भी इसके लिए धन राशि का प्रावधान नहीं किया गया। मंत्री की इन घोषणाओं पर रेलवे बोर्ड सक्रिय तो हुआ, योजना भी बनाई गई किस तरह से इस स्टेशन को आदर्श और आधुनिक स्टेशन बनाया जा सकता है, पचास लाख रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया और तय हुआ कि वर्ष 2013-14 में यह काम पूरा हो जाएगा।

    केवल इनसे नहीं बनेगी बात

    अक्टूबर, 2013 में तत्कालीन केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री सुधीर रंजन सौर ऊर्जा शेड का उद्घाटन करने के लिए आए तो उन्होंने प्लेट फार्म की मरम्मत के आदेश दिए थे। मरम्मत कार्य पिछले कुछ दिनों से शुरू तो हुआ लेकिन इससे माडर्न स्टेशन का सपना शायद ही पूरा हो पाए।

    ट्रेन कम यात्री ज्यादा

    एक दशक पहले तक गुड़गांव रेलवे स्टेशन से 27 ट्रेनें गुजरती थीं। जिनमें गुड़गांव, पटौदी, गढ़ी हरसरु सहित कई स्टेशनों से बीस हजार दैनिक यात्री सफर करते थे। वर्तमान में करीब अस्सी हजार यात्री रोजाना सफर कर रहे हैं। ट्रेन और बोगियों की कमी के कारण छत पर भी बैठने को जगह नहीं मिल पाती है।

    जो नहीं हो सका

    -सीसीटीवी कैमरे की योजना सिरे नहीं चढ़ी।

    -सफाईकर्मी की कमी के चलते प्लेट फार्म संख्या दो पर वर्षो से शौचालय बंद पड़ा है।

    -कैंटीन की सुविधा नहीं।

    -यात्रियों की संख्या को देखते हुए दो ब्रिज और चाहिए।

    -प्लेटफार्म पूरी तरह से कवर्ड नहीं।

    -पीक आवर्स में गुड़गांव-दिल्ली के बीच दो पैसेंजर ट्रेन नहीं चली।

    -ट्रेनों के आवागमन की नहीं मिल पाती सही जानकारी।

    -वेटिंग रूम में साफ सफाई का अभाव, भिखारी फरमाते हैं आराम।

    =====

    बोले सांसद

    'मैंने कांग्रेस में रहते हुए कई बार आवाज उठाई लेकिन वहां आवाज दबाई जाती रही। जनहित के मुद्दों पर यहां की उपेक्षा की वजह से ही मैंने कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में शामिल हुआ। भाजपा की सरकार बनने के बाद काम तेजी से हो रहे हैं, केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु से बात हुई है और इस दिशा में उन्होंने दिलचस्पी लेते हुए काम भी शुरू करवाए हैं, जिनके नतीजे जल्द ही सामने होंगे, मैं आज भी इस बात पर कायम हूं कि जल्दी ही मॉडर्न स्टेशन का सपना साकार होगा।'--राव इन्द्रजीत, स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय मंत्री।