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    खेती से ये भी संभव..डेढ़ एकड़ से दो साल में करोड़पति

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    Updated: Sun, 09 Mar 2014 01:01 AM (IST)

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    राकेश सिहाग, फतेहाबाद

    खेती को जब घाटे का सौदा मानते हैं और घटती जमीन के चलते किसान परिवारों का अपने पुस्तैनी काम से मोह भंग हो रहा है। ऐसे में अगर ये बताएं कि मात्र डेढ़ एकड़ जमीन से दो साल में करोड़पति भी बन सकते हैं तो असंभव लगता है। लेकिन हकीकत में भूना के किसान रामकुमार ने यह करके दिखाया है। उन्होंने दो साल में एक करोड़ से ज्यादा की पैदावार पॉली हाउस में खीरा की फसल से ली है।

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    बॉक्स: तीन माह में लेते हैं एक फसल

    पॉली हाउस में मौसम कभी किसी फसल के लिए प्रतिकूल नहीं होता। इसलिए किसी भी फसल को कभी लिया जा सकता है। इसलिए वे साल में चार फसल खीरा की लेते हैं। यानी कि तीन माह में एक फसल तैयार हो जाती है। अच्छी क्वालिटी का बेमौसम सब्जी मिलने से भाव भी अच्छे मिलते हैं।

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    बॉक्स: विशेषता भी देखिये

    - पॉली हाउस में तैयार खीरा बीज रहित होता है।

    - पॉली हाउस में पैदा इनका खीरा स्वाद में कभी खारा नहीं होता।

    - खीरे को छीलना भी पड़ता।

    - सामान्य के मुकाबले कई गुणा ज्यादा पैदावार।

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    बॉक्स:: आंकड़ों से समझिए उत्पादन व कमाई

    डेढ़ एकड़ में पौधों की संख्या --- 18,000

    एक पौधे पर पैदावार --- औसतन 4 किलोग्राम

    कुल पैदावार --- 720 क्विंटल

    औसत भाव --- 20 रुपये प्रति किलोग्राम

    (नोट : कम से कम 15 व सर्दी में 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक)

    एक फसल की कुल पैदावार --- 14.40 लाख रुपये

    तमाम तरह के खर्च --- उत्पादन का 50 फीसदी

    एक फसल का नेट लाभ --- लगभग साढ़े 7 लाख रुपये

    एक साल में चार फसल की पैदावार --- 57.60 लाख रुपये

    दो साल में कुल पैदावार का आंकड़ा --- लगभग 1.15 करोड़ रुपये से ज्यादा

    (-जैसा कि खुद किसान रामकुमार ने बताया।)

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    सरकार ने भी दिया सम्मान

    'वाकई किसान रामकुमार ने खेती को नई राह दिखाई है। इसीलिए उत्कृष्ट किसान के तौर पर सरकार ने पिछले दिनों ही प्रदेशस्तर पर 50 हजार रुपये का नकद इनाम देकर भी सम्मानित किया था।'

    - डॉ. आत्मप्रकाश, डीएचओ, फतेहाबाद।

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    बॉक्स:: अगर कोई किसान पॉली हाउस लगाना चाहे तो..

    पॉली हाउस पर बागवानी विभाग कुल लागत का 65 प्रतिशत सब्सिडी देता है। यानी कि प्रति एकड़ 24.31 लाख रुपये विभाग व 12.93 लाख रुपये शेयर किसान का लगता है। वहीं ड्रिप सिस्टम पर भी विभाग 75 प्रतिशत सब्सिडी देता है। इसमें विभाग साढ़े 4 लाख रुपये तो किसान के एक लाख रुपये के लगभग खर्च होता है।

    (नोट: आदर्श चुनाव आचार संहिता के चलते योजना का अभी लाभ नहीं मिल सकता।)