ग्रीन सिग्नल देकर ट्रैक की मरम्मत, तभी दौड़ी चली आई मालगाड़ी
रेल कर्मियों की लापरवाही यात्रियाें पर भारी पड़ रही है। यहां रेल पटरी की मरम्मत हाे रही थी और ट्रैक पर ग्रीन सिग्नल था। इसी दौरान तेजगति से मालगाड़ी आ गई और बेपटरी हो गई।
अंबाला, [दीपक बहल ]। अाए दिन रेल हादसे हो रहे हैं लेकिन रेलवे के अफसर और कर्मचारी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे। इसका खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ता है। यहां भी ऐसा ही देखने को मिला। रेल ट्रैक पर ग्रीन सिग्नल देकर मारकंडा नदी पर बने रेल पुल के पास टूटी पटरी की मरम्मत की जा रही थी। इस भारी चूक से 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही मालगाड़ी बेपटरी हो गई और अंबाला से सहारनपुर के बीच ट्रेनों की आवाजाही ठप गई। चार करोड़ का नुकसान हुआ, वो अलग। साेचिए, अगर मालगाड़ी की जगह पैंसेंजर ट्रेन होती तो क्या होता।
जांच में अंबाला-सहारनपुर तंदवाल व केसरी स्टेशन के बीच हुए रेल हादसे के लिए इंजीनियरिंग विभाग जिम्मेदार पाया गया है और सीनियर सेक्शन इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन, इस हादसे ने कई गंभीर सवाल खड़ कर दिए हैं।
दरअसल, पांच मीटर ज्वाइंट (पटरी का जोड़) बदलने के लिए इंजीनियरिंग विभाग ने बराड़ा स्टेशन मास्टर से दो घंटे का ब्लॉक मांगा था। तीन गाड़ियां निकलने के बाद ब्लॉक दिया जाना था लेकिन सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने कर्मचारियों को काम करने के आदेश दे दिए। तालमेल के अभाव के कारण कर्मचारियों ने काम शुरू कर दिया और मालगाड़ी के 13 डिब्बे इंजन सहित बेपटरी हो गए।
75 किमी की स्पीड
बराड़ा की तरफ से 75 किलोमीटर की रफ्तार से आ रही कोयले से लदी मालगाड़ी को चालक ने ग्रीन सिग्नल होने के कारण नहीं रोका। पुल के पास कर्व होने के कारण चालक को ट्रैक के बीच में लगी लाल झंडी नजर नहीं आई और हादसा हो गया। हालांकि कर्मियों ने लाल झंडी दिखाकर ट्रेन रोकने के प्रयास भी किए लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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