कैदियों-बंदियों के मन परिवर्तन के लिए अब योग और प्रार्थना का सहारा
जितेंद्र अग्रवाल, अंबाला शहर हरियाणा की जेलों में बंद करीब 18 हजार कैदियों व बंदियों
जितेंद्र अग्रवाल, अंबाला शहर
हरियाणा की जेलों में बंद करीब 18 हजार कैदियों व बंदियों के मन का परिवर्तन अब योग और प्रार्थना से करवाया जाएगा। योजना है कि जो भी सजा भुगत कर जेल से बाहर जाए वह कुछ न कुछ कौशल साथ लेकर जाए जो उसकी आजीविका का सहारा बने। वह जेलों को आश्रम के रूप में परिवर्तित करने का सपना संजोए हुए हैं। ¨सघल ने शुक्रवार को पंचवटी योगाश्रम एवं नेचर केयर सेंटर दिल्ली के संस्थापक योगऋषि स्वामी आशुतोष के साथ सेंट्रल जेल में इसी विषय पर विस्तार से चर्चा की।
¨सघल का मानना था कि करीब 70 प्रतिशत लोग परिस्थितिवश ही सजा भुगतने जेल पहुंचते हैं लेकिन इन लोगों को जरा सा स्पोर्ट मिलने पर वह सजा के बाद समाज के लिए बहुत उपयोगी सिद्धा हो सकते हैं। आदमी अगर इंसान बन जाए तो समस्याएं नहीं रहेंगी। सुबह योग और सायं को प्रार्थना करने से ऐसे लोगों का मन परिवर्तन हो सकता है। सायं की प्रार्थना में हे मालिक तेरे बंदे हम, इतनी शक्ति देना हमें दाता हमारा विश्वास कम हो ना या देश भक्ति के गीत हो सकते हैं। उन्होंने योगऋषि को जेल विभाग के पास उपलब्ध सभी सुविधाएं समर्पित करने का आश्वासन भी दिया। डीजीपी ने योगऋषि से प्रदेश की सभी 19 जेलों में योग प्रशिक्षक प्रशिक्षण कोर्स शुरू करने को कहा। योगऋषि आशुतोष ने कहा कि किसी भी समाज के निरंतर विकास के लिए समाज में शांति और सुरक्षा का वातावरण होना जरूरी है। समाज में शांति का वातावरण रखने के लिए उसे अपराध मुक्त होना परम आवश्यक है। समाज को अपराध मुक्त रखने के लिए अपराध और अपराधी क मनोविज्ञान को समझना आवश्यक है, यदि अपराधी की मनोवैज्ञानिक प्रवृति का अध्ययन कर उनको मजबूर करने वाली परिस्थितियों को बनने से रोक दिया जाए तो समाज को अपराध मुक्त बनाने में मदद मिलेगी। यह काम योग आसानी से कर सकता है। योग के कारण कई सजायाफ्ता कैदी उनके संगठन के वेतन पर योग प्रशिक्षक हैं। उन्होंने डीजीपी को बताया कि प्रशिक्षक के लिए 45 दिन का प्रशिक्षण कोर्स संस्थान करवाता है जिसमें प्रैक्टिकल और थ्योरी सहित सभी आवश्यक प्रशिक्षण विशेषज्ञ देंगे। लेकिन इसके लिए कम से कम दसवीं पास होना जरूरी है।
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