मछली से बनाई जा सकती है बिजली
मछलियों के स्केल्स (शल्क) में ऐसे तत्व हैं जिनसे बिजली बनाई जा सकती है।
जेएनएन, नई दिल्ली। मछली से बिजली बनाने में आरंभिक सफलता मिली है। इस तरह के प्रयोग पूरी तरह सफल रहे तो इस तरह की बिजली पेसमेकर और इंसुलिन पंप जैसे मेडिकल उपकरणों के लिए काफी उपयोगी होगी।
मछली से बिजली बनाने की संभावना खोजी है कोलकाता के जाधवपुर विश्वविद्यालय के प्रो. दीपांकर मंडल ने। इस बारे में उनका पेपर अप्लायड फिजिक्स लेटर्स जर्नल में छपा है। इसमें बताया गया है कि मछलियों के स्केल्स (शल्क) में ऐसे तत्व हैं जिनसे बिजली बनाई जा सकती है। शल्क को कुछ इलाकों में चोइयां, चोइंटा या पटि बोलते हैं। मछली को पकाने लायक बनाने के लिए सफाई करते समय इन्हें निकालकर फेंक दिया जाता है। प्रो. मंडल का कहना है कि इनमें पाए जाने वाले महीन तंतु बड़े काम की चीज है। उनसे बिजली बनाना संभव है।
क्या है थ्योरी
कुछ पदार्थों में पाइजोइलेक्ट्रिक तत्व होते हैं। ऐसी चीज पर मैकेनेकिल दबाव डालने पर बिजली पैदा होती है। ऐसा उसमें सीसा (लेड) और कांसा होने के कारण होता है। मछली के शल्क में महीन तंतु के साथ कोलेजन होता है जो इसे सख्त बनाता है। इसमें भी पाइजोइलेक्ट्रिक तत्व हैं।
प्रयोग में मिले हैं संकेत
प्रो. मंडल और उनके साथी सुजॉय कुमार घोष ने मछलियां साफ करने के बाद फेंक दिए गए शल्क बाजार के कूड़े से इकट्ठा किए। उन्होंने इसे ऐसे एसिड में डाला जिससे इसे पारदर्शी और लचीला बनाया जा सके। फिर इसे मजबूत किस्म के प्लास्टिक से लैमिनेट कर गोल्ड एलेक्ट्रोड से जोड़ा गया। इसमें थोड़ी मात्रा में बिजली केसंकेत मिले। इस प्रयोग से ही लगा कि शल्क से बिजली बनाई जा सकती है।
अभी सिद्धांत के स्तर पर ही:
प्रो. मंडल की टीम का कहना है कि शुरुआती प्रयोग इस तरह उत्साहवर्धक हैं। अब वे इसका थोड़े बड़े स्तर पर प्रयोग करने वाले हैं। इस तरह की बिजली पर्यावरण के खयाल से भी अ'छी है क्योंकि इसके उत्पादन के दौरान प्रदूषण नहीं होगा। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और मेडिकल क्षेत्र के छोटे उपकरणों के लिए यह खास तौर पर उपयोगी होगी।