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     गुलबर्ग तक सीमित नहीं है जकिया की लड़ाई

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    Updated: Thu, 27 Jun 2013 04:26 AM (IST)

    अहमदाबाद। गुजरात दंगा मामलों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 62 लोगों को विशेष जांच दल की ओर से क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ जकिया जाफरी की विरोध याचिका पर सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष के वकील ने अदालत को बताया कि जकिया अकेले गुलबर्ग सोसायटी नहीं बल्कि गुजरात में हुए दंगों के सभी मामलों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रही है।

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    मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बी जे गणात्रा की अदालत में चल रहे गुजरात दंगा मामलों की नियमित सुनवाई के दौरान बुधवार से जकिया जाफरी की ओर से दलील शुरू हुई। जकिया कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं जिनको गुलबर्ग सोसायटी में 28 फरवरी 2002 को दंगाईयों ने अन्य लोगों के साथ मार डाला था। अधिवक्ता सलीम शेख ने बताया कि जकिया की ओर से दिल्ली से आए अधिवक्ता संजय परीख व मिहिर देसाई ने पक्ष रखा। परीख व देसाई ने एसआईटी के उस दावे को गलत बताया जिसमें उनका कहना था कि जकिया की याचिका महज गुलबर्ग सोसायटी दंगा के लिए है। उन्होंने साफ किया कि जाकिया गुजरात के सभी दंगा मामलों में न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं, उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर पहले ही साफ हो चुका है। पहले दिन जकिया के वकीलों ने इस पूरे मामले की रुपरेखा व जांच की जानकारी देते हुए बताया कि एसआईटी की ओर से मुख्यमंत्री व अन्य 62 लोगों को क्लीन चिट दिए के बाद यह पूरा मामला फिर से अदालत के समक्ष है।

    उन्होंने एसआईटी के विविध स्तर की जांच, एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट व आईपीएस संजीव भट्ट, राहुल शर्मा व पूर्व महानिदेशक श्रीकुमार के बयानों का भी हवाला देते हुए कहा कि एसआईटी इन अधिकारियों को स्वार्थ या पूर्वाग्रह से प्रेरित बताते हुए इनके बयानों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। जकिया की याचिका पर मेट्रो कोर्ट में नियमित सुनवाई चलेगी।

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