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    भेड़चाल फंडों से रहें सावधान

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    Updated: Mon, 29 Dec 2014 05:25 PM (IST)

    पिछले सप्ताह एक समाचार का शीर्षक था ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को समर्थन के लिए घरेलू म्यूचुअल फंडों ने स्कीमें लांच कीं।’ यह आश्चर्यजनक है। देशभक्ति दिखाने को यही चीज मिली थी?

    पिछले सप्ताह एक समाचार का शीर्षक था ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को समर्थन के लिए घरेलू म्यूचुअल फंडों ने स्कीमें लांच कीं।’ यह आश्चर्यजनक है। देशभक्ति दिखाने को यही चीज मिली थी? शीर्षक से लगा कि म्यूचुअल फंडों के कर्मचारी अपना काम छोड़ या तो फैक्ट्रियां लगा लेंगे या ऐसा ही कोई और कामधंधा खोज लेंगे। मगर स्टोरी में कुछ अलग ही बात थी।

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    पूरा पढ़ने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इसकी हेडलाइन वास्तव में यह होनी चाहिए थी, ‘म्यूचुअल फंड कंपनियां मेक इन इंडिया अभियान के प्रचार का उपयोग अपने ऐसे फंडों को बेचने में करेंगी जिन्हें कोई खरीदना नहीं चाहेगा।’

    मेरी राय में मोदी की मदद के लिए म्यूचुअल फंडों के इस प्रचारित निर्णय का ‘मेक इन इंडिया’ से कोई लेना-देना नहीं है। मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं कि भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग क्रांति चाहिए। इसके लिए सरकार को निर्णायक ढंग से कार्य करना चाहिए। उन तमाम बाधाओं को दूर करना चाहिए, जिन्होंने कई दशकों से भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को अवरुद्ध (या लगभग नष्ट) कर रखा है। लेकिन इसका इससे कोई संबंध नहीं है कि किसी इक्विटी फंड निवेशक को केवल उन्हीं म्यूचुअल फंडों में निवेश करना चाहिए, जो मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों में अपना पूरा या ज्यादा पैसा लगाते हैं।

    यदि कुछ सूचीबद्ध मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां अच्छा निवेश करने वाली हैं तो किसी काबिल फंड मैनेजर को विविधीकृत इक्विटी फंडों के जरिये इनमें निवेश से कोई नहीं रोक सकता। आखिरकार, विविधीकृत फंडों की यही तो खासियत है कि वे निवेशकों के हित में उनके पैसे को विभिन्न उद्योगों, सेक्टरों या स्टॉक्स में लगाते व हटाते रहते हैं।

    पढ़ेंः म्यूचुअल फंड में करें निवेश

    म्यूचुअल फंड से बेहतर हैं नए यूलिप

    म्यूचुअल फंडों में निवेश से जुड़ा एक अटल सत्य यह है कि किसी भी निवेशक को किसी क्षेत्र या विषय विशेष से संबंधित फंड में निवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि किसी खास वक्त में कुछ या कई सेक्टर हमेशा बाजार से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह बाजार की प्रकृति है। यही वजह है कि कुछ खास सेक्टरों पर आधारित फंड हमेशा दूसरों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करते हैं। पिछले कई साल से पसंदीदा सेक्टरों से जुड़े फंडों के अलावा अन्य फंड भी टेक्नोलॉजी, ऑटो, इंफ्रा, एफएमसीजी शेयरों में निवेश कर रहे हैं।

    किसी खास दिन इन सेक्टरों से संबंधित प्रत्येक फंड डायवर्सिफाइड फंड से बेहतर प्रदर्शन करता दिखाई देता है। संयोगवश नहीं, बल्कि गणना के लिहाज से भी लगभग सुनिश्चित। विविधीकृत फंड चूंकि कई सेक्टरों में निवेश करते हैं। लिहाजा, उनका प्रदर्शन उन सभी सेक्टरों के प्रदर्शन का औसत होता है। इनमें से जो सर्वश्रेष्ठ या श्रेष्ठ सेक्टर होंगे, उनका प्रदर्शन हमेशा विविधीकृत फंडों से बेहतर होगा।

    इसलिए यदि आप किसी खास वक्त में म्यूचुअल फंडों का प्रदर्शन देखेंगे तो हमेशा यही महसूस होगा कि अमुक सेक्टर के बजाय विविधीकृत फंड में क्यों निवेश किया, जबकि लंबी अवधि के हिसाब से उन अमुक फंड का बर्ताव अनिश्चिततापूर्ण ढंग से बदलता रहता है।

    कभी-कभी तो ऐसा देखने को मिलता है कि कल तक जो सेक्टर फंड सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा था। कुछ समय बाद वही सबसे खराब प्रदर्शन कर रहा होता है। पूर्व में जिन निवेशकों ने टेक्नोलॉजी व इंफ्रा फंडों के प्रदर्शन से आकर्षित होकर उनमें पैसा लगाया था, वे इसकी गवाही देंगे।

    फंड का फंडा, धीरेंद्र कुमार

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