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बजट से तय होगी बाजार की करवट

यह सप्ताह काफी हलचल व घटनाक्रमों से भरपूर होगा। संसद का सत्र शुरू हो रहा है। अगले तीन दिन बजट संबंधी सिलसिला चलेगा। पिछले दो सप्ताह से बाजार में जो तेजी चल रही है, उससे स्पष्ट है कि बजट से पूरा देश काफी ज्यादा उम्मीद बांधे बैठा है। हमारा मानना है कि मोदी सरकार के इस बजट में बहुत्

By Edited By: Published: Sun, 06 Jul 2014 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jul 2014 08:36 AM (IST)

यह सप्ताह काफी हलचल व घटनाक्रमों से भरपूर होगा। संसद का सत्र शुरू हो रहा है। अगले तीन दिन बजट संबंधी सिलसिला चलेगा। पिछले दो सप्ताह से बाजार में जो तेजी चल रही है, उससे स्पष्ट है कि बजट से पूरा देश काफी ज्यादा उम्मीद बांधे बैठा है। हमारा मानना है कि मोदी सरकार के इस बजट में बहुत अधिक क्रांतिकारी बदलाव नहीं होने जा रहा है। खासतौर पर कर की दरों, नियमन के ढांचे व सब्सिडी को लेकर सरकार की नीति फिलहाल वही रहेगी।

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इसकी वजह सरकार को बजट तैयार करने के लिए मिला कम समय बताई जा रही है। बाजार को उम्मीद बेहतर राजकोषीय प्रबंधन व भविष्य की नीतियों का रोडमैप बताने वाले बजट की है। हालांकि किसी भी लोकप्रिय घोषणा नहीं होने पर निवेशकों को खरीद के मौके के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए।

जीएसटी लागू करने का स्पष्ट रोडमैप बजट में आता है तो यह निवेशकों का उत्साहवर्धन करेगा। जीएसटी लागू होता है तो अगले वित्त वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.25 फीसद का इजाफा हो सकता है। सरकार राजस्व के लिए इस साल पूरी तरह विनिवेश पर निर्भर करेगी। राजकोषीय घाटे को नीचे लाने में यह उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा।

सरकार अगर बजट में रसोई गैस पर दी जा रही सब्सिडी घटाने की दिशा में कोई कदम उठाती है तो यह निवेशकों को बाजार की तरफ आकर्षित करेगा। सरकार के कुल तेल सब्सिडी बिल में करीब आधा हिस्सा एलपीजी का ही है। रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि का मतलब होगा, तेल व गैस कंपनियों को सीधा लाभ। अगर सोने पर आयात शुल्क में कमी होती है तो यह ज्वैलरी कंपनियों के लिए फायदा होगा। बजट में बैंकों को लेकर काफी सकारात्मक कदम उठाए जाने की उम्मीदें हैं। खासतौर पर बैंकों के लिए होल्डिंग कंपनी बनाने के प्रस्ताव की चर्चा बजट में हो सकती है। इन उम्मीदों को लेकर पिछले एक सप्ताह से बाजार में बैंक शेयर उछाल मार रहे हैं। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को भी बजट में प्रोत्साहन मिलने के मजबूत संकेत मिल रहे हैं।

शुक्रवार से इंफोसिस पहली तिमाही के नतीजों के साथ बाजार में उतरेगी। शीर्ष की पांचों आइटी कंपनियों के राजस्व में एक से पांच फीसद की वृद्धि की उम्मीद है। इंफोसिस के नतीजों में दो फीसद वृद्धि की संभावना है। लेकिन सभी कंपनियों के मार्जिन में कमी की आशंका है। इसका कारण अमेरिका में वीजा लागत, रुपये की मजबूती व वेतन भत्तों में वृद्धि है।

संदीप पारवाल

एमडी, एसपीए कैपिटल्स

पढ़ें: संसद का बजट सत्र सोमवार से


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