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    टॉप-अप हेल्थ बीमा के फायदे

    By Edited By:
    Updated: Mon, 29 Sep 2014 05:13 AM (IST)

    शायद ही कोई नौकरीशुदा वयस्क होगा, जिसके पास कोई जीवन बीमा पॉलिसी न हो। लेकिन जहां तक स्वास्थ्य बीमा की बात है तो बहुत कम लोग इस पर ध्यान देते हैं। हालांकि कुछ बीमा कंपनियां जीवन बीमा कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस राइडर्स कवर भी देती हैं। हेल्थ इंश्योरेंस एक ऐसा ब्

    शायद ही कोई नौकरीशुदा वयस्क होगा, जिसके पास कोई जीवन बीमा पॉलिसी न हो। लेकिन जहां तक स्वास्थ्य बीमा की बात है तो बहुत कम लोग इस पर ध्यान देते हैं। हालांकि कुछ बीमा कंपनियां जीवन बीमा कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस राइडर्स कवर भी देती हैं।

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    हेल्थ इंश्योरेंस एक ऐसा बीमा है, जो रोजमर्रा की स्वास्थ्य जरूरतों से लेकर अस्पताल में भर्ती के खर्चो की पूर्ति में हमारी मदद करता है। उद्योग चैंबर फिक्की के अध्ययन के मुताबिक भारत में सिर्फ 30 फीसद जनसंख्या के पास ही हेल्थ केयर सुविधा है। लिहाजा यहां हेल्थ इंश्योरेंस की बड़ी आवश्यकता है।

    भारत में क्यों कमजोर है हेल्थ बीमा?

    हमारे यहां हेल्थ इंश्योरेंस पर समुचित ध्यान नहीं दिया है। ऐसा या तो जागरूकता के अभाव में है या हम सोचते हैं कि हमें कुछ नहीं होगा। हमारी यह सोच ठीक नहीं है। हकीकत यह है जिस तरह का जीवन हम जी रहे हैं और जैसे आपाधापी के वातावरण में हमें काम करना पड़ता है, उसमें हम कभी भी बीमार हो सकते हैं। वैसे भी जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में तेजी से इजाफा हो रहा है। लेकिन बढ़ती लागत के कारण हम हेल्थ इंश्योरेंस को नकार रहे हैं। यह हमारी बड़ी भूल है। इलाज के आकस्मिक खर्चो की भरपायी के अलावा हेल्थ इंश्योरेंस हमें हर साल कर बचत का विकल्प भी उपलब्ध कराता है। स्वयं के लिए चुकाया गया 15 हजार रुपये, जबकि अभिभावकों के लिए दिया गया 20,000 रुपये तक का प्रीमियम आयकर मुक्त है। फिर भी हमें लगता है कि स्वास्थ्य के नाम पर इतना प्रीमियम हम क्यों चुकाएं।

    हेल्थ इंश्योरेंस के तहत इंडेम्निटी कवर, निजी दुर्घटना, जटिल बीमारी वा अन्य के रूप में सुरक्षा मिलती है। इनके जरिये आपत्ति काल में अस्पताल के खर्चे पूरे किए जा सकते हैं। लेकिन क्या महज सामान्य कवर आपकी देखभाल सुनिश्चित कर सकता है? यह भी तो संभव कि उपचार के खर्चे बीमित राशि से अधिक हों। तब हम क्या करेंगे? इसका जवाब टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस है।

    कैसे काम करते हैं टॉप-अप प्लान?:

    एक उदाहरण देखें। एक व्यक्ति ने अपने व परिवार (पत्‍‌नी व दो बच्चे) के लिए दस लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस ले रखा है। इसमें तीन लाख रुपये की राशि कटौती योग्य है। यानी एक बार में तीन लाख रुपये तक की राशि बीमा कंपनी से मिल सकती है। अब माना कि इस व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है और उसके पास तीन लाख रुपये का सामान्य हर्जाना कवर है। लेकिन बीमारी गंभीर होने के कारण इस राशि का उपयोग हो चुका है। अभी एक लाख रुपये और चाहिए। ऐसे में अतिरिक्त एक लाख की भरपायी के लिए अन्य स्रोतों, मसलन बचत का उपयोग करना पड़ेगा। लेकिन यदि व्यक्ति के पास टॉप-प्लान है तो इस राशि की पूर्ति आसानी से हो सकती है। दस लाख रुपये के टॉप-अप प्लान मेंतीन लाख रुपये की कटौती योग्य राशि का मतलब परिवार में किसी के अस्पताल में भर्ती होने पर तीन लाख रुपये तक के बिल की राशि सामान्य कवर द्वारा पूरी की जाएगी। इससे ऊपर की राशि को टॉप-अप प्लान के जरिये पूरा किया जाएगा।

    वैसे तो एकल कवर के साथ टॉप-अप लिया जा सकता है, मगर हम इसकी सलाह नहीं देंगे। हां, यदि उपचार की राशि बहुत अधिक है तो टॉप-अप प्लान लेना उचित है। सामान्यत: टॉप-अप प्लान में अनिवार्य हेल्थ चेक अप का प्रावधान उम्रदराज लोगों के लिए होता है। टॉप-अप प्लान किसी भी बीमा कंपनी से भी लिया जा सकता है। उससे भी जिससे सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया गया है।

    अस्पताल में भर्ती होने पर आपकी सामान्य हेल्थ पॉलिसी व टॉप-अप प्लान दोनो से हर्जाने का दावा किया जा सकता है। लेकिन कुछ शर्ते हैं। मसलन, एक शर्त टॉप-अप प्लान की निर्धारित सीमा को पूरा करने की है। जबकि दूसरी यह है कि टॉप-अप प्लान अस्पताल में भर्ती होने पर ही काम करता है।

    इसका अर्थ यह हुआ कि आप टॉप-अप प्लान का उपयोग उस वक्त करें, जब अस्पताल में भर्ती होने पर मेडिकल बिल एक सदस्य की कटौती योग्य राशि से अधिक हो। यदि अस्पताल से छुंट्टी मिलने के 45 दिनों के भीतर दोबारा भर्ती होना पड़ता है तो आमतौर पर इसे एक ही बीमारी माना जाता है, जबकि डिस्चार्ज के 45 दिनों बाद दोबारा भर्ती होने पर उसे नई बीमारी माना जाता है। वैसे कुछ प्लान हैं, जिनमें एकल दावे की सीमा नहीं है। इनमें पूरे वर्ष के लिए डिडक्टिबल राशि पर किसी भी बीमारी के लिए क्लेम किया जा सकता है। ऐसे प्लान को सुपर टॉप-अप प्लान कहते हैं। हायर डिडक्टिबल सस्ते प्लान हैं। प्लान का चयन सिर्फ प्रीमियम के आधार पर नहीं, बल्कि लाभों को देखकर करना चाहिए। अधिक सेवाओं और लाभों की स्थिति में प्रीमियम ऊंचा हो सकता है। लिहाजा आप अपनी हैसियत के अनुसार प्लान का चुनाव करें।

    क्या है टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस?:

    एक व्यक्ति का उदाहरण लें जिसने तीन लाख का फैमिली हेल्थ बीमा कवर परिवार के लिए लिया हुआ है। इसमें खुद वह, उसकी पत्‍‌नी और दो आश्रित बच्चे शामिल हैं। तीनों का कवर एक साथ है। किसी आपात स्थिति में इलाज पर उसकी पूरी बीमित राशि या अधिकांश हिस्सा खर्च हो जाता है। तब ऐसे में अतिरिक्त इलाज खर्च को पूरा करने के लिए वह क्या करेगा? वह अपनी उन बचतों का इस्तेमाल करेगा, जो उसने भविष्य के लिए जुटा रखी हैं।

    टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस की ईजाद इन्हीं हालात से निपटने के लिए की गई है। ये प्लान कार में स्टेपनी की तरह है, जो अचानक टायर फटने पर काम आता है। टॉप-अप प्लान केवल आपके अपने सामान्य हेल्थ कवर में ही मदद नहीं करता, यह आपके नियोक्ता द्वारा प्रदत्त हेल्थ कवर खत्म होने पर भी काम आता है। कई लोग मानते हैं कि चूंकि नियोक्ता की ओर से हेल्थ कवर मिला हुआ है, इसलिए उन्हें अलग से हेल्थ इंश्योरेंस या टॉप अप कवर लेने की जरूरत नहीं है। ग्रुप इंश्योरेंस में यह पहले से मौजूद रोगों व प्रसूति के मामलों (हाल में कुछ कंपनियों ने प्रसूति कवरेज पेश की है, लेकिन इसके साथ कुछ शर्ते जुड़ी हैं) में भी मददगार है।

    रंजीत आरजी

    नेशनल हेड (डिस्ट्रीब्यूशन)

    जियोजित बीएनपी पारिबा

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