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..सेल्फी एक नया शौक

मौजूदा दौर का बड़ा फोटोग्राफिक ट्रेंड बन चुका है सेल्फी। बॉलीवुड सितारों से लेकर टीनएजर्स तक फेसबुक-ट्विटर में सेल्फी अपलोड करते नजर आते हैं। यह नया शौक कई बार सनक में बदलता नजर आता है। कुछ माह पहले सेल्फी की सनक से जुड़ी एक खबर ने सबका ध्यान खींचा था। परफेक्ट

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 09:39 PM (IST)
..सेल्फी एक नया शौक
..सेल्फी एक नया शौक

मौजूदा दौर का बड़ा फोटोग्राफिक ट्रेंड बन चुका है सेल्फी। बॉलीवुड सितारों से लेकर टीनएजर्स तक फेसबुक-ट्विटर में सेल्फी अपलोड करते नजर आते हैं। यह नया शौक कई बार सनक में बदलता नजर आता है। कुछ माह पहले सेल्फी की सनक से जुड़ी एक खबर ने सबका ध्यान खींचा था। परफेक्ट सेल्फी की लत के कारण एक ब्रिटिश टीन ने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लिया था। हालांकि उसे बचा लिया गया, मगर उसके इस कदम ने कई सवाल खडे़ कर दिए।

परिपक्वता की कमी

फोटो या पोस्ट पर आने वाले अच्छे-बुरे कमेंट्स के लिए जिस तरह बड़े तैयार रहते हैं, उस तरह बच्चे तैयार नहीं हो पाते। अगर एक भी डिस्लाइक या खराब कमेंट मिल जाए तो यह उनके लिए पीड़ा का सबब बन जाता है। 11वीं के स्टूडेंट 17 वर्षीय सुशांत को कुछ ऐसी ही वजहों से अपना फेसबुक एकाउंट बंद करना पड़ा। इसका कारण था दोस्तों के भद्दे कमेंट्स। वह कहते हैं, मैंने कई बार ड्रॉइंग्स, फोटोज, पोएट्री भी पोस्ट कीं। जब तक दोस्त तारीफ करते थे, अच्छा लगता था, लेकिन अचानक एक दिन भद्दे कमेंट्स आने शुरू हो गए। मैं डिस्टर्ब हो गया। एक दिन मैंने मॉम को यह प्रॉब्लम बताई। इसके बाद उन्होंने मेरा एकाउंट ही बंद करवा दिया। मां ने मेरी समस्या तो हल कर दी, लेकिन मेरी जैसी समस्या बहुत से बच्चे झेलते हैं। मेडिकल की छात्रा अपूर्वा कहती हैं, बच्चे अपने कमेंट्स में आक्रामक भी हो जाते हैं। कई बार सिर्फ मजा लेने या परेशान करने के लिए वे कमेंट्स करने लगते हैं। तुम्हारी नाक मोटी है, तुम्हारी हेयरस्टाइल ठीक नहीं है, अपने दांत तो देखो.. जैसे कमेंट्स के अलावा कई बार ऐसे कमेंट्स भी आ जाते हैं, जो अपमानित कर सकते हैं। बडे़ लोग इसे हैंडल कर लेते हैं, मगर कुछ बच्चे जो बहुत संवेदनशील होते हैं वे इसे हैंडल नहीं कर पाते।

टेक्नोलॉजी एडिक्शन

दिल्ली के एक स्कूल की अध्यापिका अर्चना बताती हैं, पिछले तीन-चार वर्षों में बच्चों में टेक्नोलॉजी एडिक्शन बहुत बढ़ा है। स्कूल में कई बार चेकिंग में बच्चों के बस्तों में फोन मिलते हैं। बच्चों को समझने के लिहाज से मैं स्वयं उनसे फेसबुक पर जुड़ी रहती हूं, लेकिन मुझे हैरत होती है, जब कई बच्चे मुझे रात के 11-12 बजे तक सोशल साइट्स में बिजी दिखते हैं। कई बार मैं चैटिंग के जरिये उन्हें अगले दिन के असाइनमेंट के बारे में बताती हूं। जब उन्हें लगता है कि मैम उन्हें लगातार चेक कर रही हैं तो वे ऑफ लाइन हो जाते हैं। एक टीचर होने के नाते उन्हें अच्छा-बुरा बताने की मेरी एक सीमा है, इसके बाद तो पैरेंट्स की ही जिम्मेदारी है कि वे देखें कि बच्चे देर रात तक क्या करते हैं।

खतरनाक है यह लत

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट गगनदीप कौर कहती हैं, फेसबुक पर कुछ अपलोड करते ही टिप्पणियों का इंतजार होने लगता है। तुरंत कमेंट्स न मिलें तो बेचैनी होती है, बुरे कमेंट्स मिल जाएं तो बच्चा हर्ट होता है। इंटरनेट एडिक्शन पर वर्कशॉप के दौरान हमें कई अनुभव हुए। फेसबुक के जरिये प्रपोज करने का ट्रेंड चल निकला है। किसी ने मैसेज किया- मुझसे दोस्ती करोगे? जवाब में संदेश मिला- जाकर अपना मुंह शीशे में देख लो..। यह जवाब निजी तौर पर आहत करता है। साथ ही सोशल रिजेक्शन भी महसूस होता है। कमेंट को सब पढ़ लेंगे, यह बात बच्चों को ज्यादा परेशान करती है। हर साइट के इस्तेमाल की कुछ गाइडलाइंस होती हैं, लेकिन इन्हें पढ़ा नहीं जाता। पैरेंट्स भी बच्चों के हाथ में सारे डिवाइस थमा देते हैं, बस यह कहते हुए कि मिसयूज न हो। यह मिसयूज है क्या, यह बच्चों को नहीं बताया जाता। इससे परेशानियां बढ़ती जाती हैं।

संबंध भी होते हैं प्रभावित

यूके में हुआ एक अध्ययन बताता है कि फेसबुक में सेल्फीज की ओवर शेयरिंग रिश्तों के लिए अच्छी नहीं होती। दिनभर सेल्फी अपलोड करना वास्तविक रिश्तों की सेहत पर भारी पड़ता है। स्कॉटलैंड की एक यूनिवर्सिटी में पिछले वर्ष हुए इस अध्ययन में बताया गया कि जब कोई सोशल साइट्स पर कुछ पोस्ट करता है तो इसे दोस्तों-जानकारों के साथ ही अन्य लोग भी देखते हैं। हर किसी पर फोटो या पोस्ट का अलग-अलग असर होता है। यह अध्ययन फोटोग्राफ्स अपलोड करने की आदत पर किया गया था। अध्ययन में सेल्फ फोटो, फ्रेंड्स, इवेंट्स, फैमिली, नेचर फोटोज, कलीग्स, जानवरों.. की तस्वीरों पर आई टिप्पणियों का आकलन करके देखा गया कि इनका अलग-अलग लोगों पर क्या असर पड़ा। इनमें पार्टनर, रिश्तेदार, दोस्त, कलीग्स और अन्य फेसबुक फ्रेंड्स थे। नतीजे में कहा गया कि सेल्फ फोटोज ज्यादा लगाने से वास्तविक रिश्तों की इंटीमेसी कम होती है। रिपोर्ट में कहा गया लोगों के लिए सोशल साइट्स एक तरह से फन टाइम है, लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि सोशल साइट्स पर क्या शेयर कर रहे हैं और इसका असर क्या पड़ सकता है। इसलिए कोई पोस्ट करने से पहले कम से कम दो बार सोचें।
सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर होने वाले कुछ अन्य अध्ययन भी बताते हैं कि ऑनलाइन फोटोज की ओवरशेयरिंग से रिश्तों में दरार पड़ सकती है। आजकल तो सोशल साइट्स राजनेताओं की आपसी खींचतान के अलावा पति-पत्नी के झगड़ों का भी कुरुक्षेत्र बनती जा रही हैं।

लत न बन जाए डिसॉर्डर

ब्रिटिश टीनएजर को बचा लिया गया, मगर गहरे अवसाद ने उससे जिंदगी के जो पल छीने, वे कभी वापस नहीं मिलेंगे। उसने बताया कि वह दिन भर में 200 सेल्फी लेता था और अच्छी न लगने के कारण डिस्कार्ड कर देता था। बाद में उसने कहा, मेरे लिए दोस्तों और अन्य लोगों का एप्रूवल मिशन बन गया। यह ड्रग या एल्कोहॉल जैसी समस्या थी मेरे लिए। मैं नहीं चाहता कि मेरी जैसी स्थिति से कोई और गुजरे। उसका इलाज करने वाले मनोविश्लेषक ने एक इंटरव्यू में कहा, यह केस बताता है कि टेक्नोलॉजी एवं सामाजिक ट्रेंड्स मिलकर किस तरह एक व्यक्ति को अवसाद में डाल सकते हैं।
(जागरण सखी)


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