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    फिल्म रिव्यू : व्हाइल वी आर यंग (4 स्टार)

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Sat, 02 May 2015 04:43 PM (IST)

    बेन स्टिलर और नाओमी वाट्स अभिनीत फिल्म में एक बात तो स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है कि डायरेक्टर नो बोम्बेक ने उन लोगों के लिए एक बेहतरीन कहानी गढ़ी है जो अपने 20वें और 30वें साल के अंतिम दौर में हैं। फिल्म में एक कपल है स्टिलर और

    डायरेक्टर - नो बोम्बेक

    कास्ट - बेन स्टिलर, नाओमी वाट्स

    बेन स्टिलर और नाओमी वाट्स अभिनीत फिल्म में एक बात तो स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है कि डायरेक्टर नो बोम्बेक ने उन लोगों के लिए एक बेहतरीन कहानी गढ़ी है जो अपने 20वें और 30वें साल के अंतिम दौर में हैं।

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    फिल्म में एक कपल है स्टिलर और वाट्स। वे बूढ़े हो रहे हैं। उनके बीच का चार्म खो गया सा लगता है। फोकस से भटकाव है और जीवन को लेकर जूनून भी कम होता दिखता है। दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हैं। स्ट्रगल कर रहे हैं। दोनों की इच्छा है कि नाम कमाया जाए। मगर वे यह भूल चुके हैं कि जब वे जवान हुआ करते थे तो किसी काम को लेकर कितना जूनून उनमें था। वैसे भी 40 की उम्र में तो परिणाम ही मायने रखता है बजाए इसके कि प्रक्रिया कैसी थी।

    वहीं एक कपल है एडम ड्रीवर और अमांडा सेफ्राइड का। वो बिलकुल उन कामों को करन में व्यस्त हैं जो बूढ़ा कपल भूल चुका है। मसलन वे जवान है तो वो परिणाम की चिंता नहीं करते बल्कि प्रक्रिया से प्रेम करते हैं।

    बेम्बोक का काम मूल रूप से ह्यूमर और ट्रेजेडी के बीच तालमेल बैठाने के लिए जाना जाता है। यहां भी एक समय में फनी सीन है तो दूसरे पल दिल को तोड़ने वाला भी है। यह बिलकुल वैसा ही है जैसा बूढ़ा कपल। और यह बात केवल फिल्म तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एक वास्तविक जीवन में भी ऐसा ही होता है।

    कारण कि एक बार बेबी होने के बाद आप क्या करते हैं। यदि आप अपना करियर चाहते हैं तो बेबी नहीं चाहते। आप अपने जीवन को कैसे खुशियों से भरते हैं। जब हर कोई आपके पास हो, बच्चे हो, दोस्त हो। सो आप अपने पुराने दोस्तों के साथ हैंगआउट करते हैं या फिर दूसरों को देख जलन महसूस करते हैं कि वे यंग है।

    मगर 'व्हाइल वी आर यंग' मिड लाइफ की चुनौतियों से आगे की बात कहती हैं। बोम्बेक ने सभी पहलूओं को छूने का प्रयास किया है। यह बहुत बड़ी बात है कि कहानी में जो कुछ है वो रोचक है।

    फिल्म बताती है कि सक्सेस और मॉरेलिटी के बीच एक लाइन है। जीवन भी इसी के आसपास घूमता है। बोम्बेक अब 45 साल के हो गए हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि फिल्म में उन्होंने अपना भी कुछ अनुभव बताया होगा। दर्शकों के लिए यह हमेशा ही बेहतरीन अनुभव होता है जब वो अपने जीवन से जुड़ी बात को सिनेमा के नजरिए से देखते हैं।

    कास्ट का काम दमदार है। फिल्म दर्शकों को कन्वेंस करने में सफल होती दिखाई देती है। भारत में यह फिल्म संतुलित सिनेमाघरों में रिलीज हुई हैं।

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