फिल्म रिव्यू: कजरिया (3.5 स्टार)
फिल्म 'कजरिया' बेहद प्रासंगित विषय को उठाती है। इसमें कन्या भ्रूण हत्या की बात की गई है। इसके साथ ही कई मुद्दें पर भी ये प्रकाश डालती है। मसलन महिलाएं दिन-प्रतिदिन होने वाले अनुभवों में क्या कुछ झेलती हैं उसकी भी बात करती है।
प्रमुख कलाकार: रिद्धिमा सूद, मीनू हुडा और कुलदीप रूहिल
निर्देशक: मधुरीता आनंद
स्टार: 3.5
फिल्म 'कजरिया' बेहद प्रासंगित विषय को उठाती है। इसमें कन्या भ्रूण हत्या की बात की गई है। इसके साथ ही कई मुद्दें पर भी ये प्रकाश डालती है। मसलन महिलाएं दिन-प्रतिदिन होने वाले अनुभवों में क्या कुछ झेलती हैं उसकी भी बात करती है।
मीरा का किरदार निभाया है रिद्धिमा सूद ने। वो दिल्ली की एक महत्वकांक्षी रिपोर्टर है। वो हरियाणा से ताल्लुक रखती है। यहां के लोग हर साल एक खास पूजा रखते हैं। मीरा यहां पर लीड करती नजर आती है। वो कजरिया के साथ ऐसा जादू करने वाली महिला का सामना करती हैं जिस पर फीमेल बेबी को मारने का आरोप लगाया जाता है।
मीरा अपनी सोच के उत्साह में जल्दी से निष्कर्ष पर पहुंच जाती है कि किस तरह कजरिया एक डायन है और उसे मृत्युदंड मिलना चाहिए। इसके बाद ही मीरा को अहसास होता है कि उसने मूर्खता दिखाई है। मगर अब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस वाकये के बाद मीरा को अपने जीवन में लौटने में ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मीरा को उसका बॉयफ्रेंड एग्रेसिव तौर पर नियंत्रित करता है।
आनंद यह दर्शाता है कि महिलाओं का शोषण केवल गांव में ही नहीं होता है। मगर कई अमीर और शहरी परिवारों में भी होता है। फिल्म में परफॉर्मेंस शानदार है। मीनू हुडा ने कजरिया का रोल निभाया है जो कि परफेक्ट के करीब है। कुलदीप रूहिल ने बनवारी का रोल निभाया है। ये वो आदमी है जो कजरिया का शोषण करता है।
एक गंभीर मुद्दे को उठाने की बेहतरीन कोशिश की गई है। देश में इस विषय की चिंता होनी ही चाहिए।
अवधि: 132 मिनट