फिल्म रिव्यू: हॉलीडे (3.5 स्टार)
हालांकि मुरूगादास ने तमिल में 'थुपक्की' बना ली थी, लेकिन यह फिल्म हिंदी में सोची गई थी। मुरूगादास इसे पहले हिंदी में ही बनाना चाहते
मुंबई (अजय ब्रह्मात्मज)
प्रमुख कलाकार: अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा, गोविंदा और सुमित राघवन।
निर्देशक: एआर मुरूगदास।
संगीतकार: प्रीतम
स्टार: साढ़े तीन।
हालांकि मुरूगादास ने तमिल में 'थुपक्की' बना ली थी, लेकिन यह फिल्म हिंदी में सोची गई थी। मुरूगादास इसे पहले हिंदी में ही बनाना चाहते थे। अक्षय कुमार की व्यस्तता कमी वजह से देर हुई और तमिल पहले आ गई। इसे तमिल की रीमेक कहना उचित नहीं होगा। फिल्म के ट्रीटमेंट से स्पष्ट है कि 'हॉलीडे' पर तमिल फिल्मों की मसाला मारधाड़, हिंसा और अतिशयोक्तियां का प्रभाव कम है। 'हॉलीडे' हिंदी फिल्मों के पॉपुलर फॉर्मेट में ही किया गया प्रयोग है।
विराट फौजी है। वह छुट्टियों में मुंबई आया है। मां-बाप इस छुट्टी में ही उसकी शादी कर देना चाहते हैं। वे विराट को स्टेशन से सीधे साहिबा के घर ले जाते हैं। विराट को लड़की पसंद नहीं आती। बाद में पता चलता है कि साहिबा तो बॉक्सर और खिलाड़ी है तो विराट अपनी राय बदलता है। विराट और साहिबा की प्रेम कहानी इस फिल्म की मूलकथा नहीं है। मूलकथा है एक फौजी की चौकसी, सावधानी और ड्यूटी। मुंबई की छुट्टियों के दौरान विराट का साबका एक 'स्लिपर्स सेल' से पड़ता है। (स्लिपर्स सेल आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न ऐसे व्यक्ति होते हैं, जो नाम और पहचान बदल कर सामान्य नागरिक की तरह जीते हैं।) बहरहाल, स्लिपर्स सेल की जानकारी मिलने पर चौकस विराट अपने फौजी साथियों की मदद से उनका सफाया करता है।
अक्षय कुमार ने इस फिल्म के लिए लुक और गेटअप पर ध्यान दिया है। आवश्यक परिवर्तन से वे आकर्षक भी दिखे हैं, लेकिन वे अपनी चाल और शैली पूरी तरह से नहीं छोड़ पाते। इस कारण विराट और स्टार अक्षय कुमार गड्डमगड्ड हो जाते हैं। पापुलर एक्टर की यह बड़ी सीमा है कि वह कैसे अपने स्टारडम और इमेज से निकल कर किसी किरदार को आत्मसात करे। अक्षय कुमार पूरी कोशिश करते हैं और कुछ दृश्यों में प्रभावशाली लगते हैं। 'हॉलीडे' का एक्शन अधिक विश्वसनीय है। सोनाक्षी सिन्हा फिल्म की प्रेमकहानी के लिए आवश्यक थीं। लेखक-निर्देशक की कोशिश रही है कि ऐसी फिल्मों की हीरोइनों की तरह साहिबा केवल शोपीस या आयटम न रहे। फिल्म में साहिबा खिलाड़ी है। सोनाक्षी सिन्हा खिलाड़ी की तरह नजर आती हैं। फिल्म में कुछ गाने जबरन न डाले जाते तो ठीक रहता।
अन्य कलाकारों में सुमित राघवन, जाकिर हुसैन और फरहाद (फ्रेडी दारूवाला) प्रभावित करते हैं। खास कर फरहाद ने मिले मौके का भरपूर लाभ उठाया है। उनकी प्रेजेंस दमदार है। सुमित राघवन अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं। 'हॉलीडे' में परिचित सहयोगी कलाकारों को नहीं रखने से ताजगी आ गई है। जाकिर हुसैन ऐसी भमिका पहले भी कर चुके हैं।
फिल्म अलबत्ता थोड़ी लंबी लगती है और राष्ट्रप्रेम एवं फौज के प्रति आदर जगाने के प्रयास अपनी अतिवादिता से कही-कहीं कृत्रिम लगने लगती है। फिल्म के अंत का प्लेटफार्म पर चित्रित विदाई समारोह में रिश्तेदारों की भावुकता लंबी,यक्सांऔर नकली हो गई है। क्या फौजियों के मोर्च पर लौटने के समय रेल्वे स्टेशनों पर ऐसा ही रोना-रोहट चलता है?
अवधि- 170 मिनट
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