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    फ़िल्म समीक्षा: बचपन और सपनों की दुनिया है ये 'जग्गा जासूस' (साढ़े तीन स्टार)

    By Hirendra JEdited By:
    Updated: Fri, 14 Jul 2017 06:03 PM (IST)

    अगर वो बच्चा आपमें ज़िंदा है तो ही आप इस फ़िल्म का लुत्फ़ उठा पाएंगे वरना बोर होंगे!

    फ़िल्म समीक्षा: बचपन और सपनों की दुनिया है ये 'जग्गा जासूस' (साढ़े तीन स्टार)

    -पराग छापेकर

    मुख्य कलाकार: रणबीर कपूर, कटरीना कैफ़, शाश्वत चटर्जी, सयानी गुप्ता

    निर्देशक: अनुराग बासु

    निर्माता: सिद्धार्थ रॉय कपूर, अनुराग बासु, रणबीर कपूर

    अगर आप में वो बच्चा ज़िंदा है जो बचपन में दादी-नानी की कहानियां सुनते-सुनते दिमाग में उसके विज़ुअल बनाते-बनाते सो जाता था। अगर आप को बचपन में कॉमिक्स की दुनिया में खो जाना पसंद था। वो परीकथाओं के हिस्से बन कर आप रोमांच का अनुभव करते थे तो आपको 'जग्गा जासूस' पसंद आएगी। वर्ना, आप बोर हो जाएंगे। डायरेक्टर अनुराग बसु ने एक सपने की दुनिया रचने की कोशिश की है और उसमें वो काफी हद तक सफल भी हुए है। 'जग्गा जासूस' कहानी है जग्गा की, जिसके पिता बचपन में गायब हो जाते हैं और अब जग्गा की यात्रा है अपने पिता की खोज। इसमें उनका साथ देती है खोजी पत्रकार कटरीना। इस खोज में ढेर सारी मुश्किलें उनके सामने आती हैं। अंततः, क्या जग्गा अपने पिता को ढूंढने में कामयाब रहता है? यही कहानी है जग्गा जासूस की।

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    फ़िल्म निश्चित तौर पर एक पारंपरिक फ़िल्म नहीं है। इस फ़िल्म में छोटे-बड़े तक़रीबन 30 गाने हैं जो स्टोरी को आगे बढ़ाते है या यूं कहें कि गाने ही डायलॉग है। एक निर्देशक के तौर पर अनुराग इस अलग सी फ़िल्म से दर्शकों को बांधे रखने में काफी हद तक सफल हुए है। फ़र्स्टहाफ थोड़ा खींच गया। लेकिन, सेकंडहाफ में वो अपना रीदम वापस पा लेते हैं।

    परफॉर्मेंस लेवल पर बात करें तो रणबीर कपूर वैसे ही एक समर्थ अभिनेता है। इस फ़िल्म में भी उन्होंने शानदार परफॉर्मेंस दिया है। कटरीना को शो के लिए रखा था वो काम वो अच्छे से करती हैं।

    सिनेमेटोग्राफर रवि बर्मन फ़िल्म की ख़ूबसूरती को कई कदम आगे ले जाते है। एडिटिंग भी शार्प है। कभी-कभी निर्देशक के आगे एडिटर हार जाता है ये समझा जा सकता है। प्रीतम का संगीत कमाल का है। इस तरह की फिल्म का संगीत देना वकाई टेढ़ी खीर है। अरिजीत ने उनका पूरा-पूरा साथ दिया है।

    फिल्म रिव्यू: क्या फिल्म जग्गा जासूस करेंगी आपका मनोरंजन?

    वर्डिक्ट: कुल मिलाकर जैसा मैंने पहले कहा कि अगर वो बच्चा आपमें ज़िंदा है तो ही आप इस फ़िल्म का लुत्फ़ उठा पाएंगे वरना बोर होंगे। लेकिन, बच्चों को ये फ़िल्म जरूर पसंद आएगी और साथ ही साथ एक मैसेज भी पूरी मजबूती के साथ फ़िल्म देती है। मैं इस फ़िल्म को 5 में से 3.5 (साढ़े तीन) स्टार देता हूं।

    अवधि:160 मिनट