थैंक्स रहमान सर
अगर हर्षदीप कौर वैसे तो गायकी की दुनिया में पहले से रमी हुई हैं, लेकिन उन्हें अच्छी चर्चा मिली है रॉकस्टार के गीत कतिया करूं.. से। पिछले दिनों हर्षदीप का भक्ति एलबम एक ओंकार बाजार में आया है।
अगर हर्षदीप कौर वैसे तो गायकी की दुनिया में पहले से रमी हुई हैं, लेकिन उन्हें अच्छी चर्चा मिली है रॉकस्टार के गीत कतिया करूं.. से। पिछले दिनों हर्षदीप का भक्ति एलबम एक ओंकार बाजार में आया है।
बातचीत में वे एलबम के बारे में बताती हैं, यह पूरी तरह से धार्मिक एलबम है। मेरे इस एलबम के सभी रचनाएं सुनकर लोगों को शांति की अनुभूति होगी।
हर्षदीप ने पहले कुछ रीमिक्स एलबम के लिए गीत गाया था। अब वे गीत कतिया करूं.. को लेकर चर्चा में रहीं। वे कहती हैं, फिल्म रॉकस्टार के इस गीत ने मुझे ऐसी ख्याति दी है, जिसके बारे में कुछ नहीं बता सकती। जितना बोलूंगी, वह कम होगा। मुझे इस गीत ने हर घर में पहुंचा दिया है। मैं इस गीत की सफलता से खुश हूं।
हर्षदीप इस बात को खुले दिल से स्वीकारती हैं कि आज उन्हें जो भी चर्चा मिली है, उसके लिए वे श्रेय संगीतकार ए आर रहमान को देती हैं। वे कहती हैं, मुझे यह गीत गाने के लिए रहमान सर ने अवसर दिया, मैं उनकी आभारी हूं। मैं इस बात से खुश हूं कि मेरा जो गीत चर्चित हुआ उसके संगीतकार रहमान सर हैं।
किसी गीत की चर्चा में गीतकार के साथ ही संगीतकार और उसके गायक की अहमियत होती है। क्या हर्षदीप को यह अंदाजा था कि उनका गाया गीत कतिया करूं.. इस तरह लोकप्रिय होगा?
वे कहती हैं, कोई गीत जब तैयार होता है, तब उसके बारे में बस अच्छे की उम्मीद ही की जा सकती है। वह सफल होगा, यह बात नहीं मानी जाती। यह गुरुजी की कृपा है कि मेरा गाया गीत चर्चा में आ गया।
हर्षदीप से बात होती है धर्म को लेकर, तो वे कहती हैं, मैं पूरी तरह से धार्मिक विचारों वाली हूं। मैं ही नहीं, मेरा पूरा परिवार धर्म में यकीन करता है। लेकिन एक बात का दुख भी है हमें, आजकल धर्म के नाम पर खूब ढोंग रचा जा रहा है। कभी कोई धर्म के नाम पर चंदा मांगने आ जाता है, तो कभी कोई..।
यह अच्छी बात नहीं है, लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें चंदे के रूप में कुछ न कुछ दे ही देते हैं, ऐसा करने से उनका मनोबल बढ़ता है। ऐसे लोगों का समूह अब हर जगह हो गया है। मेरा मानना है, आने वाले ऐसे लोगों को कभी चंदा नहीं देना चाहिए। मैं खुद गुरुद्वारे जाकर दानपेटी में दान देना पसंद करती हूं। मैं चैरिटी में भी भाग लेती हूं, लेकिन सोच-समझकर। मैं गलत लोगों के साथ कभी नहीं रह सकती। हर्षदीप कर्म पर यकीन करती हैं या धर्म पर?
वे कहती हैं, मैं कर्म और धर्म दोनों पर पर यकीन करती हूं। मेरी समझ से दोनों की जरूरत होती है हमारी जिंदगी में। यदि हम कर्म नहीं करेंगे, तो किस्मत भी हमारा साथ नहीं देगी। सही यही है कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों का एक-दूसरे से गहरा नाता बना हुआ है। जब हमें सफलता मिलती है, तो सबसे पहले यही बात होती है कि यह उसकी किस्मत में था या उसने इसके लिए काफी मेहनत की है।
कुल मिलाकर दोनों का ही दोनों से रिश्ता है। अब आगे क्या करने जा रही हैं हर्षदीप? वे कहती हैं, जल्द ही लोगों को बताऊंगी। अभी कुछ काम होना है। अभी उस बारे में बात फाइनल नहीं है इसलिए मैं बता नहीं सकती।
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