Exclusive: कहने को 'रईस' हैं, पर पहनते हैं चोर बाज़ार का चश्मा!
रईस में किंग ख़ान ने अपने किरदार के स्टेटस के हिसाब से चश्मों का इस्तेमाल किया है। इसके लिए अलग-अलग जगहों से चश्मे लिए गए हैं।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म 'रईस' का पहला पोस्टर आने के बाद से ही उनके लुक की चर्चा शुरू हो गयी थी। शाह रुख़ के इस लुक को इंटेंस बना रहे हैं वो चश्मे, जो उन्होंने फ़िल्म में पहने हैं, और इन सभी चश्मों के पीछे कुछ दिलचस्प कहानियां छिपी हुई हैं।
'रईस' के ट्रेलर में आपने देखा होगा कि माहिरा शाह रुख़ को बैटरी साला' बोलती नज़र आती हैं। चूंकि छोटे शहरों में मोटे चश्मे पहनने वालों को बैटरी ही कहा जाता है। इस फ़िल्म के कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर और स्टाइलिस्ट शीतल शर्मा बताते हैं कि उनके लिए 'रईस' के लुक के लिए यह चश्मा ढूंढना आसान काम नहीं था। बकौल शीतल हमने शाह रुख़ के लिए 100 से भी ज्यादा चश्मे ट्राई किये थे। शाह रुख़ भी इस बात को लेकर बिल्कुल साफ़ थे, कि वो वैसे चश्मे ट्राई नहीं करना चाहते हैं, जो उन्हें रेगुलर लुक दें।
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आमतौर पर फ़िल्म में एक्टर्स जो चश्मे लगाते हैं वो ब्रांडेड और महंगे होते हैं, लेकिन रईस में किंग ख़ान ने अपने किरदार के स्टेटस के हिसाब से चश्मों का इस्तेमाल किया है। इसके लिए अलग-अलग जगहों से चश्मे लिए गए हैं। फ़िल्म में रईस की 12 साल की जर्नी दिखाई गई है। इसलिए तीन लुक के अनुसार तीन चश्मे पहनाये गए हैं। रईस जब सीधा-सादा होता है तो प्लास्टिक का चश्मा पहनते हैं। जब थोड़े युवा होते हैं तो उन्होंने सिल्वर मेटेलिक चश्मा पहना है और जब वह पूरी तरह रईस बन जाते हैं तो गोल्ड का चश्मा पहनते हैं।
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जैसे-जैसे फ़िल्म में शाह रूख़ के चश्मे बदलते हैं, उन्हें ख़रीदने की जगह भी बदलती रही है। बकौल शीतल, शाह रूख़ का पहला चश्मा चोर बाज़ार से लिया गया है। दूसरा बांद्रा की एक दुकान से और तीसरा चश्मा स्पेशली बनवाया गया है। शीतल बताते हैं कि कहानी के अनुसार एक स्मॉल टाउन का लड़का बाद में बिजनेसमैन बन जाता है, इसलिए हमने शाह रुख़ को पठानी सूट के अलावा, जींस पैंट और शर्ट पैंट भी पहनाए हैं। शाह रुख़ और माहिरा ख़ान की फ़िल्म 25 जनवरी को रिलीज़ होने वाली है।