राष्ट्रगान अगर फिल्म का हिस्सा हो तो खड़ा होना जरुरी नहीं - सुप्रीम कोर्ट
फिल्म दंगल के समय ही ऐसा मामला सामने आया था जब फिल्म के एक सीन में राष्ट्रगान बजने पर दर्शकों के न खड़े होने पर आपत्ति उठाई गई थी।
मुंबई। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि सिनेमाघर में दिखाई जाने वाली फिल्म, डॉक्यूमेंट्री या शो रील में राष्ट्रगान बजने पर दर्शकों को उसके लिए खड़ा होना अनिवार्य नहीं हैं।
न्यायमूर्ति दीपक मिसरा और आर बानुमति की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया। श्याम नारायण चौकसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि सिनेमा हॉल में प्रत्येक फिल्म के प्रदर्शन से पहले हर बार राष्ट्र गान बजाया जाए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी इस मामले को लेकर देश में कोई कानून नहीं है। लेकिन याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है उस पर बहस की जानी चाहिए। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 14 अप्रैल की डेट दी है। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजने से पहले सभी दर्शकों को सम्मान में खड़ा होने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जन गण मन बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा।
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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें राष्ट्रगान के दौरान खड़े ना होने वाले की पिटाई की गई। फिल्म दंगल के समय ही ऐसा मामला सामने आया था जब फिल्म के एक सीन में राष्ट्रगान बजने पर दर्शकों के न खड़े होने पर आपत्ति उठाई गई थी।
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