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    संजय दत्त की जिंदगी का हर पहलू: सब कुछ होते हुए भी हैं अकेले

    By Edited By:
    Updated: Mon, 29 Jul 2013 11:48 AM (IST)

    कभी खुद गलती कर बैठे तो कभी हालात ने मजबूर किया। इनके जीवन का कोई ऐसा दौर नहीं, जब परेशानियों ने इनका पीछा छोड़ा हो। बड़े पर्दे पर अपनी एक्टिंग से करोड़ो ...और पढ़ें

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    कभी खुद गलती कर बैठे तो कभी हालात ने मजबूर किया। इनके जीवन का कोई ऐसा दौर नहीं, जब परेशानियों ने इनका पीछा छोड़ा हो। बड़े पर्दे पर अपनी एक्टिंग से करोड़ों दिल जीतने वाला यह शख्स आज शायद जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, क्योंकि येरवदा जेल में वह हर पल अपनी तन्हाई से लड़ रहा है। हम संजय दत्त की ही बात कर रहे हैं, जो आज 54 साल के हो गए।

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    तस्वीरें : संजय दत्त के कुछ खास पल

    सब कुछ होते हुए भी अकेले

    संजू बाबा के पास आज सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है। जेल जाने से पहले उन्होंने खुद कहा था कि मुझसे सब कुछ ले लो, बस मुझे आजादी दे दो। फिल्मों से साल के लगभग 20 करोड़ रुपए कमाने वाले इस शख्स की पूरी जिंदगी किसी फिल्मी पटकथा से कम नाटकीय नहीं रही।

    मां के देहांत के साथ शुरू हुआ दुर्भाग्य

    1981 में रॉकी फिल्म से बड़े पर्दे पर करियर शुरू करने वाले संजू के दुर्भाग्य की शुरुआत भी तभी से हो गई थी। उनकी पहली फिल्म के प्रीमियर से ठीक तीन दिन पहले उनकी मां और मशहूर अभिनेत्री नर्गिस चल बसी थी। अगले साल ड्रग्स लेने की वजह से पांच महीने की जेल काटी और अमेरिका के नशा मुक्ति केंद्र में दो साल रहकर ड्रग्स से पीछा छुड़ाने के बाद वापस लौटकर बॉलीवुड में वापसी की। खुद से उम्र में बड़ी रिचा शर्मा से प्यार हुआ और शादी भी हो गई। लेकिन संजय जब तक रिचा के साथ को ठीक से महसूस कर पाते, उन्हें पत्‍‌नी के ब्रेन कैंसर की खबर मिल गई।

    1993 ने बदल दी जिंदगी

    संजय दत्त के फिल्मी करियर का ग्राफ बेशक तेजी से चढ़ता गया। उन्होंने साजन, सड़क और खलनायक जैसी सुपरहिट फिल्में कीं। लेकिन उनकी निजी जिंदगी में ठहराव नहीं आया। 1993 से तो उनकी जिंदगी का और बुरा दौर शुरू हो गया, जब मुंबई बम धमाकों की जांच के दौरान संजय दत्त पर हथियार रखने का आरोप लगा। 16 महीने की जेल काटी और लगभग 20 साल तक अदालतों के चक्कर काटने के बाद जेल पहुंच गए।

    मुन्नाभाई ने बदली इमेज

    मुन्नाभाई फिल्म करने के बाद संजू की बैड बॉय की इमेज भी बदलने लगी। यह फिल्म सही मायनों में उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इसी फिल्म के सीक्वल लगे रहो मुन्नाभाई से उनके करियर को और बुलंदी मिली। अग्निपथ के रीमेक में विलेन के रूप में कांचा की भूमिका को निभाकर उन्होंने एक्टिंग के मायने ही बदल दिए। इस बीच मान्यता से शादी के बाद वो थोड़े अनुशासित हुए। दो बच्चों के पिता बनने के बाद लगा कि अब उनके जीवन में सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन मुसीबतों ने उनका पीछा कहां छोड़ना था। 20 साल पहले की गई गलती की सजा तो उन्हें आखिरकार भुगतनी ही थी और अब भुगत भी रहे हैं।

    राजनीति भी रास नहीं आई

    संजू ने पिता सुनील दत्त और बहन प्रिया की तरह राजनीति में भी हाथ आजमाए, लेकिन नेतागीरी उनको रास नहीं आई। शायद उनकी सबसे बड़ी गलती यह रही कि उन्होंने बहन की बात न मानकर कांग्रेस से राजनीति करने की बजाय अमर सिंह के मोह में पड़कर समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होना जरूरी समझा। फिर भी बुरे वक्त में बहन ने उनका साथ दिया। सिमी ग्रेवाल को दिए गए एक इंटरव्यू में संजू बाबा ने कहा था, 'मेरी जिंदगी में ऐसा कोई दौर नहीं आया, जब मुसीबतों ने मेरा पीछा छोड़ा हो।' आज उनके 54वें जन्मदिन पर संजय दत्त के फैंस दुआ कर रहे होंगे कि जेल से निकलने के बाद उनके जीवन का जो दौर आए, उसमें वे परिवार के साथ सुख-चैन से जी सकें।

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