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    क्या राजनीति के 'जौहर' से बच पाएगी 'पद्मावती'? इन 5 फ़िल्मों से गर्मायी थी सियासत

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Sat, 25 Nov 2017 07:45 AM (IST)

    पद्मावती से पहले कई बार सिनेमा को सियासत के हाथों ज़ख़्मी होना पड़ा है। नज़र डालते हैं ऐसे ही 5 प्रमुख मामलों पर-

    क्या राजनीति के 'जौहर' से बच पाएगी 'पद्मावती'? इन 5 फ़िल्मों से गर्मायी थी सियासत

    मुंबई। 'पद्मावती' के ख़िलाफ़ विरोध की चिंगारी हर गुज़रते दिन के साथ भड़कती जा रही है। श्री राजपूत करणी सेना से शुरू हुआ विरोध अब राजनीतिक रूप ले चुका है और 'पद्मावती' की रिलीज़ को रोकने की कोशिशें भी ज़ोर पकड़ने लगी हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में फ़िल्म के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं, साथ ही अदालत के ज़रिए भी 'पद्मावती' को बैन करवाने की कोशिशें जारी हैं। भाजपा शासित राज्य भी अब फ़िल्म की रिलीज़ के ख़िलाफ़ हो रहे हैं। 

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    डायरेक्टर संजय लीला भंसाली एक वीडियो के ज़रिए मैसेज देकर ये कह चुके हैं कि 'पद्मावती' में ऐसा कुछ नहीं है, जैसी अफ़वाह है। अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के बीच ड्रीम सीक्वेंस में प्रेम-प्रसंग नहीं दिखाया जा रहा है। मगर, विरोध करने वाले कुछ सुनने-समझने की अवस्था में नहीं दिखते। पद्मावती की रिलीज़ डेट टलने के बाद भी इन हंगामों पर ख़ास असर पड़ता नहीं दिख रहा। लिहाज़ा 'पद्मावती' को विरोध के जौहर से गुज़रकर अपनी राह बनानी है। वैसे, 'पद्मावती' से पहले कई बार सिनेमा को सियासत के हाथों ज़ख़्मी होना पड़ा है। नज़र डालते हैं ऐसे ही 5 प्रमुख मामलों पर-

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    2016 में करण जौहर की फ़िल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी एक्टर फ़वाद ख़ान के फ़िल्म में होने की वजह से इसका तगड़ा विरोध किया गया, क्योंकि फ़िल्म की रिलीज़ से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच उरी अटैक्स के चलते तनाव हो गया था। फ़िल्म की रिलीज़ सुनिश्चित करने के लिए करण को एड़ी से चोटी का ज़ोर लगाना पड़ा था।

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    आमिर ख़ान की फ़िल्म 'पीके' का एक धर्म विशेष के लोगों ने जमकर विरोध किया। फ़िल्म में दिखाये गये धार्मिक अंधविश्वासों पर प्रहार करने की वजह से इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किये गये।

    संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'गोलियों की रासलीला राम लीला' का टाइटल रिलीज़ से महज़ दो दिन पहले बदलना पड़ा। फ़िल्म का टाइटल पहले 'राम लीला' था, जिस पर आपत्ति जताते हुए फ़िल्म का विरोध करना पड़ा।

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    अक्षय कुमार की फ़िल्म 'ओएमजी- ओह माय गॉड' को भी धार्मिक अंधविश्वासों पर चोट करने के लिए विरोध का सामना करना पड़ा। फ़िल्म की रिलीज़ रोकने के लिए कुछ लोगों ने अदालत का भी रुख़ किया था।

     

    कई साल पहले आमिर ख़ान की फ़िल्म 'फ़ना' का विरोध इसलिए किया गया, क्योंकि आमिर ने गुजरात के नर्मदा डैम की हाइट बढ़ाने के ख़िलाफ़ कमेंट किया था। फ़िल्म गुजरात में रिलीज़ नहीं हो सकी। दिलचस्प बात ये है कि ये सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर कामयाब रही थीं। 

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