नवाजुद्दीन सिद्दीकी को अच्छा लगता है हंसना-हंसाना
मुंबई। गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद से नित नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी। उनकी हर फिल्म में अदाकारी के अलग रंग दिखे हैं। कई प्रतिष्ठि ...और पढ़ें

मुंबई। गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद से नित नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी। उनकी हर फिल्म में अदाकारी के अलग रंग दिखे हैं। कई प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में पुरस्कार व सराहना बटोर चुकी उनकी फिल्म 'द लंचबॉक्स' अब भारत में रिलीज हो रही है। उसके बाद वह केतन मेहता की बायोपिक 'माउंटेन मैन' में नजर आएंगे। खबर यह भी है कि वह बिजॉय नांबियार की फिल्म 'फोकस' में कॉमेडी करते नजर आएंगे।
वह कहते हैं, ''फोकस के बारे में बात चल रही है। उसका सब्जेक्ट रोचक है। मैं थिएटर के दिनों में खूब कॉमेडी भी किया करता था। मुझे वह करने में काफी मजा आता था, लेकिन हिंदी फिल्मों ने मुझे गंभीर और लाचार शख्स के रोल में सेट कर दिया। हालांकि मैं हर तरह के रोल करना चाहता हूं।''
'द लंचबॉक्स' में मैं शेख के किरदार में हूं। वह जल्द रिटायर हो रहे सरकारी अफसर साजन फर्नानडीज से एकाउंट्स और ऑडिटिंग सीखना चाहता है। शेख बड़बोला है, जबकि साजन कम बोलता है। अपनी दुनिया में खोया रहता है। ऐसे में उन दोनों के बीच कैसे ट्यूनिंग बनती है, फिल्म उस बारे में है।''
नवाजुद्दीन आगे कहते हैं, ''द लंचबॉक्स' जैसी फिल्में हर किसी की जरूरत हैं। चाहे वह फिल्मकार हो या ऑडिएंस और कलाकार। इससे ऑडिएंस का टेस्ट बदलेगा। दर्शक एस्केपिस्ट सिनेमा से बाहर निकल सकेंगे। ग्लोबल पटल पर हिंदुस्तानी सिनेमा की धाक जमेगी। मुझे लगता है कि इस फिल्म में ऑस्कर जीतने की पूरी कुव्वत है।''
अपनी आने वाली फिल्म 'माउंटेन मैन' को नवाजुद्दीन कॅरियर में मील का पत्थर मानते हैं। वह बताते हैं, ''मेरे ख्याल से दशरथ मांझी की लव स्टोरी सबसे अलग और निश्छल है। वैसे शख्स बिरले होते हैं, जो अपने प्यार के लिए अपनी जिंदगी के 22 साल कुर्बान कर दे। वह मेरी जिंदगी में अब तक की सबसे कठिन भूमिका है। उसे निभाने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मुझे काफी मजबूत होना पड़ा।'' गौरतलब है कि इस फिल्म की कहानी दशरथ मांझी नामक एक ऐसे शख्स के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसने समय पर चिकित्सा न मिल पाने के कारण पत्नी की मृत्यु होने के बाद अकेले ही पहाड़ काटकर सड़क बनाने का फैसला किया ताकि किसी और के साथ ऐसा न हो।हर कलाकार का रोल प्ले करने का अपना अंदाज होता है। नवाजुद्दीन का भी है। वह बताते हैं, ''आप स्वाभाविक अदाकारी तभी कर सकते हैं, जब एफर्टलेस रहें। किरदार निभाते वक्त अपनी अतिरिक्त काबिलियत दिखाने की कोशिश न करें। एक एक्टर को कभी अपने कैरेक्टर पर हावी नहीं होना चाहिए। तभी उसकी अदाकारी निखर कर सामने आती है। मैं वही तरीका अपनाता हूं।''
(अमित कर्ण)
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