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    स्पोर्ट्सपर्सन को इस समय मदद की होती है सबसे ज्यादा जरूरत - मुक्काबाज़ विनीत

    By Rahul soniEdited By:
    Updated: Mon, 22 Jan 2018 07:32 PM (IST)

    मुक्काबाज 12 जनवरी को रिलीज़ हो चुकी है जिसे अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट किया है। ...और पढ़ें

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    स्पोर्ट्सपर्सन को इस समय मदद की होती है सबसे ज्यादा जरूरत - मुक्काबाज़ विनीत

    राहुल सोनी, मुंबई। फिल्म मुक्काबाज़ में एक्टिंग करने के साथ फिल्म की स्क्रिप्ट से लेकर गाने लिखने वाले मल्टीटेलेंटेड विनीत कुमार सिंह खुद बास्केटबॉल के 6 नेशनल खेल चुके हैं। उनका मानना है कि, किसी भी स्पोर्ट्सपर्सन को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत तब होती है जब वो तैयारी कर रहा होता है। 

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    जागरण डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत में विनीत कुमार सिंह ने अपनी फिल्म मुक्काबाज़ और स्पोर्ट्स सिनेरियो को लेकर चर्चा की। विनीत कहते हैं कि, ''हम हमेशा तब ही सेलिब्रेट करते हैं जब कोई बड़ी प्रतियोगिता में मेडल जीत जाता है। उसके बाद हम उसके बारे में बात जान पाते हैं या देख पाते हैं। लेकिन सबसे जरूरी होता है इस बात का ध्यान रखना कि, एक स्पोर्ट्सपर्सन को सबसे ज्यादा जरूरत तब होती है जब वो प्रतियोगिता की तैयारी कर रहा होता है। बचपन से एक सपना लेकर रोज सुबह शाम उसे पूरा करने के लिए लगातार खेल रहा होता है, मेहनत कर रहा होता है। यह समझना जरूरी है कि मजे के लिए और परफॉर्मेंस के लिए खेलने में बहुत फर्क है। मजे के लिए खेलने में मजा अाता है किंतु परफॉर्मेंस के लिए टोज़ पर रहना होता है। 24 घंटे और सातों दिन मुस्तैद रहना होता है। यहां तक कि, एक इंजरी होने पर कम से कम 15 दिन आप पीछे हो जाते हैं और इसको रिकवर करने के लिए एक महीने का समय लगता है। और इस बीच अगर कोई प्रतियोगिता आ जाती है तो आप उसमें नहीं खेल पाते। इसलिए मदद की जरूरत तब होती है जब एक बच्चा बड़ा हो रहा होता है। एक सपने के लिए कुछ अच्छा करने के लिए खेलता है।''

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    विनीत ने आगे बताया कि, ''स्पोर्ट्सपर्सन का करियर बहुत कम उम्र में शुरू हो जाता है। उसे यह नहीं मालूम होता कि किसे खुश रखना है। और जब तक समझ आता है तब तक समय निकल चुका होता है। यह सब व्यावहारिक चीजें हैं जो कम उम्र में समझ में नहीं आती। समय के साथ-साथ यह सब समझ आता है। साथ ही इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि अगर कोई लॉन टेनिस का बेहतरीन खिलाड़ी है लेकिन वो गांव में है या फिर बैडमिंटन का जबरदस्त खिलाड़ी है पर उसके पास सुविधा नहीं है तो वो क्या होगा। कैसे वो आगे बढ़ेगा? इसलिए यह समझना जरूरी है कि प्लेयर एक दिन में नहीं बनता। लगभग 10 साल की उम्र से शुरूआत करता है तो 20 साल की उम्र में कहीं जाकर उसे सफलता मिलती है।'' आपको बता दें कि, मुक्काबाज 12 जनवरी को रिलीज़ हो चुकी है।