फारुख शेख : स्टेज से सिल्वर स्क्रीन तक का सफर
मुंबई। बॉलीवुड में अपने सशक्त अभिनय की बदौलत आम लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित करने वाले कलाकारों में से एक फारुख शेख [65 वर्ष] का 27 दिसंबर, 2013 को दिल का दौरा पड़ने से दुबई में निधन हो गया। फिल्मों के माध्यम से अपनी छवि को आमजन से जोड़ने वाले फारुख शेख का जन्म 25 मार्च, 1
मुंबई। बॉलीवुड में अपने सशक्त अभिनय की बदौलत आम लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित करने वाले कलाकारों में से एक फारुख शेख [65 वर्ष] का 27 दिसंबर, 2013 को दिल का दौरा पड़ने से दुबई में निधन हो गया। फिल्मों के माध्यम से अपनी छवि को आमजन से जोड़ने वाले फारुख शेख का जन्म 25 मार्च, 1948 को गुजरात के अमरोली में मुस्तफा और फरीदा शेख के परिवार में हुआ। उनका नाता एक जमींदार परिवार से था। फारुख शेख अपने पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। मुंबई के सेंट मैरी स्कूल में शुरुआती शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही उन्होंने यहां के सेंट जेवियर्स कॉलेज में आगे की पढ़ाई की। बाद में उन्होंने सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की।
फारुख शेख का कॅरियर :
भारतीय अभिनेता, समाजसेवी और टेलीविजन प्रस्तोता रहे फारुख शेख ने अपने कॅरियर की शुरुआत थियेटर से की थी। उन्होंने सागर सरहदी के साथ मिलकर कई नाटक भी किए हैं। बॉलीवुड में उनकी पहली बड़ी फिल्म 'गरम हवा' थी जो 1973 में आई थी। फिर उसके बाद महान फिल्मकार सत्यजित रे के साथ 'शतरंज के खिलाड़ी' की। शुरुआती सफलता मिलने के बाद फारुख शेख को आगे भी फिल्में मिलने लगीं जिसमें 1979 में आई 'नूरी', 1981 की चश्मे बद्दूर जैसी फिल्में शामिल हैं।
फारुख शेख और दीप्ति नवल की जोड़ी :
दीप्ति नवल और फारुख शेख की जोड़ी सत्तर के दशक की सबसे हिट जोड़ी रही। दर्शक इन्हें फिल्मों में एक साथ देखना चाहते थे। इन दोनों ने एक साथ मिलकर कई फिल्में की इसमें चश्मे बद्दूर, साथ-साथ, कथा, रंग-बिरंगी आदि प्रमुख हैं।
फारुख शेख अपने किरदारों में जुझारू, मध्यमवर्गीय और मूल्यजीवी इन्सान के साथ-साथ मनुष्य की फितरत को भी अभिव्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी हाल की फिल्मों में सास बहू और सेंसेक्स, एक्सीडेंट ऑन हिल रोड और लाहौर जैसी फिल्में रहीं। इन फिल्मों में भी एक बार फिर उनकी परिपक्व छवि दिखी।
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किरदार को जीने वाला शेख :
अभिनेता फारुख शेख ऐसे कलाकारों में शुमार हैं जो बड़े और असाधारण श्रेणी के फिल्मकारों की फिल्मों में एक खास किरदार के लिए पहचाने जाते हैं या फिर उसी खास किरदार के लिए बने हैं। ऐसे अभिनेता पर्दे पर केवल अभिनय नहीं करते बल्कि उस अभिनय को जीते हैं। ऐसे किरदार ही आपके जहन में इतना प्रभाव छोड़ जाते हैं कि आप उन्हें लम्बे समय तक याद रखते हैं। सहज और विनम्र से दिखाई देने वाले फारुख शेख ने अपने समय के चोटी के निर्देशकों के साथ काम किया है। उन्होंने सत्यजित रे, मुजफ्फर अली, हृषिकेश मुखर्जी, केतन मेहता, सई परांजपे, सागर सरहदी जैसे फिल्मकारों का अपने अभिनय की वजह से दिल जीत लिया।
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