Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    इनकम टैक्स के फंदे में धर्मेंद्र की 'चरस', निर्माताओं पर 6 लाख की पैनल्टी, जानें क्या है मामला

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Wed, 29 Nov 2017 06:58 AM (IST)

    1976 में रिलीज़ हुई चरस का निर्माण रामानंद सागर ने किया था और डायरेक्शन भी उन्हीं का था। चरस उस साल हिट फ़िल्मों में शामिल थी।

    इनकम टैक्स के फंदे में धर्मेंद्र की 'चरस', निर्माताओं पर 6 लाख की पैनल्टी, जानें क्या है मामला

    मुंबई। 41 साल पहले रिलीज़ हुई धर्मेंद्र की फ़िल्म 'चरस' टैक्स अनियमितता के केस में फंस गयी है। बॉम्बे हाई कोर्ट में आयकर विभाग के साथ चल रहे मामले में डिवीज़न बेंच ने निर्माताओं को फ़िल्म से होने वाली आय पर 6 लाख रुपए पैनल्टी भरने के निर्देश दिये हैं।  

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    1976 में रिलीज़ हुई चरस का निर्माण रामानंद सागर ने किया था और डायरेक्शन भी उन्हीं का था। चरस उस साल हिट फ़िल्मों में शामिल थी, जिसमें धर्मेंद्र के साथ हेमा मालिनी, अमजद ख़ान और अजीत मुख्य भूमिकाओं में थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, आयकर विभाग को रामानंद सागर की कंपनी द्वारा वित्तीय वर्ष 1976-77 में दाख़िल किये गये इनकम टैक्स रिटर्न में अनियमितता मिली थी, जिसके अनुसार मुंबई क्षेत्र में फ़िल्म के डिस्ट्रिब्यूशन के लिए प्रकाश पिक्चर्स से वसूली गई न्यूनतम गारंटी राशि को कम दिखाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, रामानंद सागर की कंपनी ने टैक्स बचाने के लिए इस राशि को दो विभिन्न हेड्स में बांट दिया था, जबकि उसी वित्तीय वर्श में प्रकाश पिक्चर्स ने इसे फ़िल्म एक्वायर करने की लागत के रूप में दिखाया था।

    यह भी पढ़ें: बॉक्स ऑफ़िस पर पहले दिन ढेर हुईं ये 15 फ़िल्में, ओपनिंद कलेक्शन 3 करोड़ से भी कम

    विभाग का कहना है कि सागर ने प्रकाश पिक्चर्स से 13.7 लाख रुपये लिये थे, मगर सिर्फ़ 3.9 लाख रुपए ही काग़ज़ों में दिखाए, क्योंकि वो पहले हुए नुक़सान की भरपाई इस रकम से करना चाहते थे। अगर वो सारी राशि काग़ज़ों में दिखाते तो अधिक टैक्स देना पड़ता। वहीं, रामानंद सागर के वक़ीलों का कहना है कि उन्होंने एक ही मद में सब कुछ इसलिए कैलकुलेट नहीं किया, क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि फ़िल्म नहीं चलेगी। हालांकि हाई कोर्ट ने कहा कि प्रकाश पिक्चर्स से मिली राशि को उजागर करने के मामले में निर्माताओं को पारदर्शी होना चाहिए था। बताते चलें कि चरस, ड्रग्स की समस्या पर आधारित फ़िल्म थी। फ़िल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था, जो काफ़ी लोकप्रिय हुआ।