आइटम नंबर में क्या बुराई..
मुंबई। यह कहना गलत नहीं होगा कि क्लाउडिया सिसला 'बिग बॉस 3' के जरिए बड़े पर्दे की नामी आइटम गर्ल की फेहरिस्त में शुमार हो चुकी हैं। हाल-फिलहाल उन्हें फ ...और पढ़ें

मुंबई। यह कहना गलत नहीं होगा कि क्लाउडिया सिसला 'बिग बॉस 3' के जरिए बड़े पर्दे की नामी आइटम गर्ल की फेहरिस्त में शुमार हो चुकी हैं। हाल-फिलहाल उन्हें फिल्मों में डांस नंबर ही मिल रहे हैं, मगर उन्हें पूरा भरोसा है कि वे जल्द ही फिल्मों में बड़ी और अहम भूमिकाओं में भी नजर आएंगी। वे अभी तक 'खिलाड़ी 786' में आइटम नंबर 'ओ बलमा..' के लिए जानी जाती रही हैं। अब 'देसी कट्टे' में 'पटनेवाली हूं..' से जलवा दिखाएंगी वे। क्लाउडिया कहती हैं, 'इस आइटम डांस ने मुझे फिल्म इंडस्ट्री में एक पहचान दी है। इसके बाद से मुझे दक्षिण भारत की कई फिल्मों के ऑफर मिलने शुरू हो गए। मैं आइटम गर्ल कहलाना पसंद करूंगी, क्योंकि अब यह सम्मान की नजरों से देखा जाता है। यह खासकर नई अभिनेत्रियों के लिए एक अच्छा जरिया है, जहां वे अपनी अदाकारी और नृत्य कौशल दिखा सकती हैं। इस आइटम सॉन्ग के बाद मुझे इंडस्ट्री में काफी तारीफ मिल रही है। यहां तक की अक्षय कुमार ने पहली बार मेरे डांस को देखकर तारीफ की थी। मुझे भरोसा है कि यह मेरे ऊपर से 'ओ बलमा..' गर्ल का लेबल हटाने में कामयाब होगी। यह 'आई हूं यूपी-बिहार लूटने..' से भी ज्यादा पॉपुलर होगा। आनंद कुमार ने विशुद्ध देसी गाना फिल्म में रखा है।
हिंदी फिल्म जगत में हमेशा से ही विदेशी हसीनाओं के गोरे रंग पर फिदा रहा है। चाहे मॉडल्स हों या बैक डांसर्स, फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद विदेशी हसीनाएं रही हैं।
फिल्मों में भले ही इनका पांच मिनट का ही किरदार हो, मगर हर निर्माता चाहता है कि उनकी फिल्म में कोई न कोई विदेशी चेहरा जरूर हो। यही वजह है कि गैर हिंदी भाषी व दूसरे देश से ताल्लुक रखने वाली अभिनेत्रियां भी यहां पांव जमा रही हैं। सफलतम नाम कट्रीना कैफ का है, जबकि जैक्लिन फर्नाडीस को बड़ी फिल्में मिल रही हैं। कल्कि कोचलिन तो पहली ही फिल्म से बेस्ट सपोर्टिग ऐक्ट्रेस का अवार्ड जीत चुकी हैं। मैं जर्मनी में मॉडलिंग और गायकी करती थी। फिर 'बिग बॉस 3' का ऑफर आया, तो पहली बार हिंदुस्तान आई। फिर यहां के लोगों और इस जगत से बेपनाह मुहब्बत हो गई। इस काम को एंजॉय करने लगी। मेरी अपनी रफ्तार है। मेरी कोशिश व रणनीति यही है कि मैं पहले आइटम गर्ल से सेकेंड लीड वाली भूमिकाएं हासिल करूं। फिर मेन लीड हीरोइन के तौर पर काम करूं। मैं वैसा करने में सफल हो जाऊंगी ऐसी आशा है। इसकी खातिर मैं भाषा पर काम करने के साथ ही अपनी भाव-भंगिमाओं पर भी खूब वर्क कर रही हूं। यहां के आम दर्शकों को वह पल्ले नहीं पड़ेगा, इसलिए मैं खुद यहां के जैसा बनाने में जुटी हूं।'
(अमित कर्ण)

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