वेश्यावृत्ति के धंधे से छुड़वाई गई एक लड़की का संघर्ष
मुंबई। जिंदगी से प्रेरित होता है हमारा सिनेमा। यही वजह है कि इन दिनों बायोपिक बेस्ड फिल्में हैं इंडस्ट्री का ट्रेंड। इसे अपनाने वाले फिल्मकारों की अगली कड़ी हैं नागेश कुकनूर। एक स्वयंसेवी संस्था के साथ काम करते हुए नागेश को उन लड़कियों की जिंदगी को जानने का मौका मिला जिन्हें वेश्यावृ
मुंबई। जिंदगी से प्रेरित होता है हमारा सिनेमा। यही वजह है कि इन दिनों बायोपिक बेस्ड फिल्में हैं इंडस्ट्री का ट्रेंड। इसे अपनाने वाले फिल्मकारों की अगली कड़ी हैं नागेश कुकनूर। एक स्वयंसेवी संस्था के साथ काम करते हुए नागेश को उन लड़कियों की जिंदगी को जानने का मौका मिला जिन्हें वेश्यावृत्ति के धंधे से छुड़वाया गया था। तभी उन्होंने तय कर लिया कि वह उन पर फिल्म बनाएंगे। उनकी यह फिल्म भोली-भाली लड़कियों के इस धंधे में फंसने और फिर उन्हें मुक्त कराए जाने की कोशिशों का ताना-बाना पेश करेगी।
नागेश के साथ 13 फिल्में बना चुके सह-निर्माता इलाहे हिपटूला कहते हैं, 'शुरुआत में हम इस विषय पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहते थे, पर जब हमने उन लड़कियों की दर्द भरी कहानी को विस्तार से जाना तो यह फैसला बदल दिया। नागेश ने सोचा कि जो कहानी वे बताना चाहते हैं, वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचनी चाहिए, इसलिए हमने फिल्म बनाने का फैसला किया।'
इलाहे आगे कहते हैं, 'हमारी फिल्म लोगों को परिस्थितियों से संघर्ष करने की प्रेरणा देगी। चूंकि यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसे 14 साल की छोटी उम्र में वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया था, इसलिए पहले हम किसी किशोरी को इस भूमिका के लिए कास्ट करना चाहते थे, फिर हमें लगा कि नैतिक रूप से यह गलत होगा। इसी बीच एक पार्टी में नागेश की नजर सिंगर व एक्ट्रेस मोनाली ठाकुर पर पड़ी और उन्हें रोल ऑफर कर दिया। ऑडिशन के बाद हमें लगा कि हमारी फिल्म के लिए वह परफेक्ट चेहरा हैं।' (मिड डे)
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