उत्तराखंड चुनाव: देखें जरा, किसके दावे में कितना दम
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में रिकॉर्ड मतदान हुआ। राजनैतिक विश्लेषक भी इसके निहितार्थ को लेकर असमंजस में हैं। सियासी पार्टियां ज्यादा मतदान को अपने पक्ष में बता रही हैं।
देहरादून, [विकास धूलिया]: उत्तराखंड की 70 में से 69 विधानसभा सीटों पर रेकार्ड मतदान ने सियासी पार्टियों को तो चौंकाया ही है, राजनैतिक विश्लेषक भी इसके निहितार्थ को लेकर असमंजस में हैं। हालांकि भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही ज्यादा मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं, लेकिन सच तो यह है कि वे भी आश्वस्त नहीं कि पिछली बार से लगभग तीन फीसद ज्यादा मतदान का स्विंग किसे फायदा पहुंचाएगा।
स्थिति यह है कि अगर सूबे में व्यापक वजूद रखने वाली भाजपा व कांग्रेस के साथ तीसरी राजनैतिक ताकत बसपा के चुनावी आंकलन को आधार बनाया जाए, तो राज्य विधानसभा में 100 से ज्यादा विधायक पहुंच रहे हैं, जबकि सीटें 70 ही हैं।
ठीक पिछले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तरह, इस बार भी मतदान के बाद यह साफ नहीं हो पा रहा है कि कौन सी पार्टी बहुमत का आंकड़ा छूने जा रही है। कोई कहने की स्थिति में नहीं है कि किसे बहुमत मिलेगा अथवा क्या त्रिशंकु विधानसभा में बसपा व निर्दलीय बैलेंस ऑफ पावर बनकर उभरेंगे। हर विधानसभा चुनाव में सत्ता बदलने वाले जनमत के ट्रेंड को देखते हुए भाजपा को पूरा भरोसा है कि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के कारण कांग्रेस सत्ता से बेदखल होगी। साथ ही, पार्टी मानकर चल रही है कि उत्तराखंड में गत लोकसभा चुनाव की ही तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू मतदाताओं पर चला है, जो 11 मार्च को नतीजों के रूप में सबके सामने आ जाएगा।
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कांग्रेस का भी अपना गणित है, जिसके बूते पार्टी निश्चिंत है कि उसकी सत्ता में वापसी होने जा रही है। कांग्रेस को लगता है कि नोटबंदी से आम जनता को हुई दिक्कतों के कारण मतदाता ने भाजपा के खिलाफ अपने रोष का इजहार किया है। इसके अलावा पार्टी को मार्च 2016 में कांग्रेस में हुई टूट और फिर दलबदल का सिलसिला शुरू होने का फायदा सहानुभूति के रूप में मिलने की भी उम्मीद है। जहां तक बसपा का सवाल है, उसकी पूरी उम्मीदें दो मैदानी जिलों हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर पर टिकी हैं। पार्टी का आंकलन हैं कि इन दो जिलों की 20 में से लगभग 12 सीटें उसे मिलेंगी, जबकि कुछ पर्वतीय जिलों में भी बसपा पांच से आठ सीटें तक ला सकती है।
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भाजपा, कांग्रेस और बसपा के इन दावों में कितना दम है, यह तो 11 मार्च को सामने आएगा मगर इतना जरूर है कि रेकार्ड मतदान प्रतिशत को लेकर हर कोई असमंजस में है कि ये किसे फायदा पहुंचाएगा। पिछली बार राज्य में 67.22 प्रतिशत मतदान हुआ और भाजपा केवल 0.66 प्रतिशत कम मत मिलने के कारण कांग्रेस से एक सीट से पिछड़ गई। इस बार 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ है। यानी, पिछली बार से लगभग तीन प्रतिशत ज्यादा। यानी, अगर यह तीन प्रतिशत का अतिरिक्त वोटर टर्न आउट किसी कारण विशेष का नतीजा है तो यह उस पार्टी को फायदा पहुंचाएगा, जो किसी मुद्दा विशेष पर मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाब रही। मतलब यह कि, यह तीन प्रतिशत का स्विंग उत्तराखंड में गुल खिलाने वाला है।
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कांग्रेस पूर्ण बहुमत ला रही है और सरकार बनाएगी
मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत ला रही है और सरकार बनाएगी। हमें लगभग दो प्रतिशत वोट स्विंग का फायदा मिला है। भारी मतदान का मतलब साफ है, जनता नोटबंदी और केंद्र की अन्य नीतियों के खिलाफ खुलकर सामने आई है। हमें जनता के फैसले पर पूरा भरोसा है।
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भारी मतदान परिवर्तन के लिए हुआ है
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि जिस तरह भारी मतदान हुआ, उससे साफ है कि यह परिवर्तन के लिए हुआ है। मतदाता ने राज्य सरकार की नीतियों व भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार की नीतियों पर विश्वास करते हुए वोट दिया। भाजपा 44 से 50 सीटें तक लाएगी।
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सपा राज्य में 17-18 सीटों पर जीत हासिल कर रही है
बसपा प्रदेश, अध्यक्ष भृगरासन राव का कहना है कि बसपा राज्य में 17-18 सीटों पर जीत हासिल कर रही है। यह पहली बार होगा कि बसपा पहाड़ की चार-पांच सीटों पर भी विजय हासिल करेगी। हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर जिलों के अलावा टिहरी, पौड़ी जिले में भी पार्टी प्रत्याशी जीतने की स्थिति में हैं। अन्य 22 सीटों पर मुकाबले में है।
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