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विधानसभा चुनाव: उत्‍तराखंड की 70 सीटों पर 636 के बीच मुकाबला

उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर कुल 636 प्रत्याशी मैदान में हैं। बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले यह संख्या 152 कम है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 02 Feb 2017 09:09 AM (IST)Updated: Fri, 03 Feb 2017 07:20 AM (IST)
विधानसभा चुनाव: उत्‍तराखंड की 70 सीटों पर 636 के बीच मुकाबला
विधानसभा चुनाव: उत्‍तराखंड की 70 सीटों पर 636 के बीच मुकाबला

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मान मनोव्वल का दौर खत्म हुआ अब रणक्षेत्र में ही फैसला होगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल बागियों और असंतुष्टों को मनाने में सफल नहीं हो पाए। अधिकांश सीटों पर बागियों ने नाम वापस नहीं लिए। नाम वापसी के अंतिम दिन तक कुल 51 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिए। अब राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर कुल 636 प्रत्याशी मैदान में हैं। बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले यह संख्या 152 कम है।

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए राज्य की 70 सीटों पर कुल 722 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। इनमें 35 के नामांकन निरस्त हो गए थे, जबकि कुल 51 ने नाम वापस लिए। बुधवार को नाम वापसी का अंतिम दिन था। सर्वाधिक 12 नाम हरिद्वार से वापस लिए गए, ऊधमसिंहनगर से 10, देहरादून से छह, उत्तरकाशी से चार, पौड़ी, अल्मोड़ा और बागेश्वर से तीन-तीन, रुद्रप्रयाग और चमोली से दो-दो नाम वापस लिए गए।

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वहीं, पिथौरागढ़ और चंपावत से किसी ने नाम वापस नहीं लिया। नाम वापसी के बाद कुल 636 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा और कांग्र्रेस के सभी 70-70 सीटों पर प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे है। हालांकि, धनोल्टी सीट पर कांग्र्रेस ने अधिकृत प्रत्याशी से नाम वापसी की बात कही थी, लेकिन उन्होंने नाम वापस नहीं लिया।

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नाम वापसी के बाद की तस्वीर देखें तो कांग्र्रेस और भाजपा अधिकांश सीटों पर बागियों और असंतुष्टों को साधने में असफल रही। कांग्रेस को जहां सहसपुर, धर्मपुर, रायपुर, कैंट, धनोल्टी, यमकेश्वर, ज्वालापुर, भीमताल, रुद्रप्रयाग आदि सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भाजपा को केदारनाथ, यमुनोत्री, ऋषिकेश, नरेंद्रनगर, चौबट्टाखाल, रानीखेत, जसपुर आदि सीटों पर बागियों से जूझना होगा।

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हालांकि, कांग्रेस ने गदरपुर और किच्छा सीटों पर असंतुष्टों को मनाने में सफलता प्राप्त की तो भाजपा ने यमकेश्वर और जसपुर सीट पर। अब नाम वापसी की तिथि बीतने के बाद पार्टियां अब बागियों पर कार्रवाई और इनके असर को कम करने पर फोकस करेंगी। इसके लिए दोनों दल रणनीति पहले ही बना चुके थे, अब इस रणनीति को लागू किया जाएगा।

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