Notbandi: आरबीआइ को नहीं पता कौन बदल ले गया रुपये
बैंक में लाइन लगाकर किसने कितनी बार रुपये निकाले और एक आइडी पर किस-किस बैंक में कितनी बार रुपये निकले, इसका हिसाब आरबीआइ के पास नहीं है।
कानपुर (जेएनएन)। नोटबंदी के बाद बैंक में लाइन लगाकर किसने कितनी बार रुपये निकाले और उसकी आइडी पर किस-किस बैंक में कितनी बार रुपये निकले, इसका हिसाब आरबीआइ के पास नहीं है। आम जनता की आइडी का बैंक दुरुपयोग न कर सकें, इसे रोकने के लिए भी कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी किए गए। इस बात का खुलासा हुआ है एक आरटीआइ के जवाब में। आरबीआइ के जवाब से साफ है कि नोटबंदी का फैसला इतनी जल्दबाजी में हुआ कि आइडी दिखाकर नोट बदलने के नियम में कोई पुख्ता व्यवस्था बन सकी। यही वजह है कि ऐसा कोई भी आंकड़ा तैयार नहीं हो सका कि एक आइडी से कौन कितनी बार पैसा ले गया या कितने बार पुराने नोट बदले गए।
आरबीआइ के इस जवाब के बाद इस अंदेशे को बल मिलने लगा है कि कई लोगों ने अपना करोड़ों का काला धन किराये के लोगों को बैंक की लाइन में लगाकर सफेद करा लिया होगा। कोई लिखा पढ़ी न होने से इस खेल में बैंकों में जमा ग्राहक की आइडी का दुरुपयोग होने की भी आशंका नकारी नहीं जा सकती। कई जगह पकड़ा गया नोट बदलने का खेल इसका उदाहरण है। आरटीआइ कार्यकर्ता व सच का आईना संस्था के अध्यक्ष नरेश श्रीवास्तव और कोषाध्यक्ष नीरज गुप्ता ने आरबीआइ से पांच बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी जिनमें आइडी के दुरुपयोग पर रोक के लिए दिशा-निर्देश के अहम सवाल भी शामिल थे।
सवालों पर आरबीआइ के जवाब
- राष्ट्रीयकृत बैंक आम जनता के पहचानपत्र का दुरुपयोग न कर सके, इसके लिए क्या नियम बने?
- राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा आइडी का दुरुपयोग न होने के लिए आरबीआइ ने कोई निर्देश नहीं जारी किए।
- खुद के द्वारा कानपुर यूनियन बैंक में आइडी नंबर 7819980013748 से कितनी बार रुपये बदले गए?
- इस आइडी नंबर से कितनी बार रुपया निकाला गया, इसकी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।
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