बंगाल के इतिहास में सबसे बड़ा चिट फंड घोटाला सारधा कांड की फांस में धीरे-धीरे एक बार फिर तृणमूल फंसती जा रही है। कांड की सीबीआइ जांच कराने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। परंतु, एक अन्य केंद्रीय जांच एजेंसी का आहिस्ता-आहिस्ता सारधा कांड में तृणमूल सांसदों पर शिकंजा कसता जा रहा है। पार्टी से निलंबित सांसद कुणाल घोष के बाद तृणमूल के एक और राज्यसभा सांसद सृंजय बोस से केंद्रीय कारपोरेट मंत्रालय के अधीन सीरियस फ्राड इनवेस्टीगेशन आफिस ने मंगलवार को करीब दो घंटे तक पूछताछ की और सारधा समूह के साथ उनके संपर्क के बारे में जानकारी ली। सारधा कांड में अब तक बोस से पुलिस तो दूर कोई भी जांच एजेंसी ने पूछताछ नहीं की थी। यह पहला मौका था जब तृणमूल सांसद व मीडिया हाउस के मालिक बोस से पूछताछ हुई है। अब तक एसएफआइओ उन्हीं लोगों से पूछताछ की है जो प्रत्यक्ष रूप से सारधा कंपनी से जुड़े थे। इसमें भी एक अहम बात यह है कि सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन ने गिरफ्तारी से पहले छह अप्रैल को सीबीआइ को पत्र लिखा था, जिसमें बोस को 20 करोड़ रुपये देने की बात कही थी। कुणाल भी बोस के मीडिया हाउस में काम करता था। इन दोनों से पूछताछ के बाद अब एसएफआइओ तृणमूल के किस नेता व सांसद को पूछताछ के लिए बुलाएगा, इसे लेकर तृणमूल के अंदर खलबली है। हालांकि, तृणमूल के शीर्ष नेता कहते आ रहे हैं कि उनकी पार्टी का सेन से कुछ भी लेना देना नहीं है। परंतु, सारधा के रुपये से जंगलमहल में राज्य सरकार की ओर से जो एंबुलेंस दिया गया था, उस पर केंद्रीय गृहमंत्रालय की नजर है। जंगलमहल में विकास के लिए केंद्र से आर्थिक मदद मिलने के बावजूद राज्य ने सुदीप्त सेन से कैसे अनुदान लिया? यह सवाल पहले से ही उठ रहा है। वहीं सारधा समूह के विभिन्न कार्यक्रमों में तृणमूल के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी पर भी नजर है। दूसरी ओर सारधा कांड में ठगी के शिकार लोगों को राज्य सरकार रकम लौटा रही है। आम लोगों से कर वसूल कर यह कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही है कि मानवता की वजह से उनकी सरकार ऐसा कर रही है। परंतु, सवाल यह उठ रहा है कि लोगों ने अधिक लाभ के लिए रुपये चिट फंड में निवेश किया था। फिर सरकार रुपये क्यों चुका रही है? एसएफआइओ अधिकारियों के भी मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा। इसीलिए वह इस बात का पता लगाने में जुटी है कि सारधा समूह ने जो आम लोगों से रुपये वसूले वह किन-किन लोगों को मिला? राज्य सरकार सीबीआइ जांच का विरोध कर रही है। ऐसे में संदेह गहराना लाजिमी है। आखिर जो भी हो लेकिन सारधा कांड का सच सामने आना चाहिए।

[स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल]

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