-----उम्मीद की जानी चाहिए कि ईश्वरीगंज से निकले संदेश को प्रदेश के लाखों ग्रामीण भी ग्रहण करेंगे और घरों में शौचालय बनवाने का काम तेजी से अमल में लाएंगे। -----प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक प्राथमिकता स्वच्छता और गांवों को खुले से शौच मुक्त बनाना है जिसे कम से कम कानपुर में सबसे पहले आत्मसात करने का काम कल्याणपुर विकास खंड के गांव ईश्वरीगंज ने कर दिखाया। कानपुर की ही धरती पर पले बढ़े राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को वहीं से स्वच्छता ही सेवा महाभियान का शुभारंभ किया तो गंगा तीरे बसे गुमनाम से गांव ईश्वरीगंज की चर्चा राष्ट्रीय फलक पर हुई। ईश्वरीगंज का डंका बजने का बड़ा श्रेय बहुराष्ट्रीय कंपनी की नौकरी छोड़ ग्राम प्रधान बने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले इंजीनियर आकाश वर्मा को जाता है। ईश्वरीगंज से राष्ट्रपति का संदेश भी बेहद स्पष्ट था। उन्होंने खुले में शौच से पनपने वाली बीमारियों व अपराधों की चर्चा के साथ आम जन को ही राष्ट्र निर्माता करार देते हुए जिम्मेदारी से लेकर श्रेय भी उन्हें ही सौंपने की बात कही है। इसके लिए बेटियों को आगे आने के आह्वान के पीछे राष्ट्रपति की महिला सशक्तीकरण की भावना ही है, जो अभियान को मुकाम तक पहुंचाने की गारंटी नजर आती है। वस्तुत: खुले में शौच विकासशील भारत के लिए अभिशाप से कम नहीं। आए दिन मीडिया में शौच को गई बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसी शर्मनाक घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं। खुले में शौच के मामले में ऐसी प्रवृत्ति के लोगों की संख्या घटाने की कोशिश तो रही है परंतु प्रगति उस अनुपात में नहीं है। राज्य में शौचालय बनाने का अभियान धनाभाव के चलते ठप है। हालांकि केंद्रीय बजट का पर्याप्त आवंटन किया गया है। इसमें राज्य को अपना हिस्सा मिलाना होता है। स्वच्छता के लिए प्रधानमंत्री की मुहिम लोगों की सोच में बदलाव लाई है। महात्मा गांधी ने जिस स्वच्छ भारत की कल्पना की थी, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में गांवों को खुले में शौचमुक्त करने की मुहिम चल रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ईश्वरीगंज से निकले संदेश को प्रदेश के लाखों ग्रामीण भी ग्रहण करेंगे और घरों में शौचालय बनवाने का काम तेजी से अमल में लाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]